दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर आता है। इस दिन, घरों में गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक निर्माण किया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा की पूजा की जाती है। शाम के समय, गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा होती है, जिसमें उन्हें अन्नकूट और कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है। इस वर्ष दिवाली 12 नवंबर को है, परंतु गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम है। आइए, आपको बताते हैं कि गोवर्धन पूजा कब होगी और इसका शुभ मुहूर्त क्या है।
सही तिथि और शुभ मुहूर्त इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 2:56 बजे से शुरू होगी और 14 नवंबर, मंगलवार को दोपहर 2:36 बजे समाप्त होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है, इसलिए गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को मनाई जाएगी। द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 से 8:52 तक है, जिसमें पूजा के लिए कुल दो घंटे नौ मिनट का समय होगा। गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है और इसे प्रकृति की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण ने की थी।
गोवर्धन पूजा पर बन रहे ये योग इस वर्ष गोवर्धन पूजा के दिन शोभन योग सुबह से दोपहर 1:57 तक है, उसके बाद अतिगंड योग शुरू होगा। शोभन योग को शुभ माना जाता है, जबकि अतिगंड योग शुभ नहीं होता। इसके अलावा, गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र रहेगा।
गोवर्धन पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत और पशुधन की आकृति बनाएं।
- धूप-दीप से पूजा करें।
- भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराकर पूजन करें।
- अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व गोवर्धन पूजा प्रकृति की सेवा और पूजा का पर्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा और गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इस दिन प्रकृति की सेवा और पूजा का संदेश दिया गया था। तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को मौसमी सब्जियों से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।