नोबेल भौतिकी पुरस्कार 2025: जब इलेक्ट्रिक सर्किट ने दिखाया क्वांटम दुनिया का जादू

नोबेल भौतिकी पुरस्कार 2025: जब इलेक्ट्रिक सर्किट ने दिखाया क्वांटम दुनिया का जादू

7 अक्टूबर 2025 को स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इस साल का नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) तीन वैज्ञानिकों को देने की घोषणा की है —

🏅 जॉन क्लार्क (John Clarke) — यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले, अमेरिका
🏅 मिशेल एच. देवोरेट (Michel H. Devoret) — येल यूनिवर्सिटी, अमेरिका और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैंटा बारबरा
🏅 जॉन एम. मार्टिनिस (John M. Martinis) — यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैंटा बारबरा

इन तीनों को यह पुरस्कार मिला है
👉 “एक इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइज़ेशन की खोज” के लिए।

क्या है इस खोज की खासियत?

क्वांटम मैकेनिक्स बताता है कि सूक्ष्म स्तर पर कण (particles) दीवारों या अवरोधों के पार जा सकते हैं — इसे क्वांटम टनलिंग कहते हैं।
पर आम तौर पर जब बहुत सारे कण मिलकर एक बड़ा सिस्टम बनाते हैं, तो यह क्वांटम व्यवहार गायब हो जाता है।

लेकिन इन वैज्ञानिकों ने साबित किया कि यह “क्वांटम जादू” बड़े पैमाने पर, यानी एक हाथ में पकड़ने लायक इलेक्ट्रिक सर्किट में भी देखा जा सकता है!

प्रयोग कैसे किया गया?

1984–85 में इन वैज्ञानिकों ने एक खास इलेक्ट्रिक सर्किट बनाया जो सुपरकंडक्टर (ऐसे पदार्थ जो बिना किसी रुकावट के विद्युत प्रवाह करते हैं) से बना था।
इस सर्किट के बीच में एक बहुत पतली इंसुलेटिंग लेयर रखी गई जिसे Josephson Junction कहा जाता है।

उन्होंने पाया कि यह सिस्टम ऐसे व्यवहार करता है जैसे कोई एक बड़ा कण हो, जो पूरे सर्किट में फैला हुआ है।
जब करंट बहता है तो सर्किट “ज़ीरो वोल्टेज” स्थिति में फँसा रहता है, लेकिन क्वांटम टनलिंग के कारण यह अचानक उस स्थिति से “बाहर निकल” जाता है — और यह बदलाव वोल्टेज आने से पता चलता है।

क्यों है यह खोज खास?

इस प्रयोग ने दिखाया कि क्वांटम मैकेनिक्स सिर्फ माइक्रोस्कोपिक दुनिया तक सीमित नहीं है —
बल्कि हम रोज़मर्रा के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में भी इसके नियमों को लागू कर सकते हैं।

इस खोज से क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम सेंसर जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों के रास्ते खुले हैं।

नोबेल कमेटी का कहना

“क्वांटम मैकेनिक्स हमें लगातार नई-नई हैरानियाँ देता है — यह न सिर्फ अद्भुत है बल्कि डिजिटल तकनीक की नींव भी है।”
— ओले एरिक्सन, चेयर, नोबेल कमेटी फॉर फिजिक्स

📚 जानिए और

👉 nobelprize.org
👉 kva.se

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