किसी भी व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन में विशेष महत्व रखती है। कुंडली के आधार पर ग्रह-नक्षत्रों की गणना की जाती है, जिससे कुंडली में मौजूद गुण-दोष का पता चलता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ युति करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष बनता है। इन दोषों के कारण व्यक्ति के जीवन में कई तरह की घटनाएं घट सकती हैं। आइए जानते हैं कुंडली के 5 सबसे खतरनाक दोष तथा उनके उपायों के बारे में।
कुंडली का महत्व
कुंडली एक व्यक्ति की जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को दर्शाती है। यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे करियर, स्वास्थ्य, विवाह, धन, और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। कुंडली के आधार पर ग्रह-नक्षत्रों की गणना की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ प्रभावों का पता चलता है।
दोष का अर्थ
कुंडली में दोष तब उत्पन्न होते हैं जब अशुभ ग्रह शुभ ग्रहों के साथ युति करते हैं या अशुभ ग्रहों की स्थिति कुंडली में नकारात्मक प्रभाव डालती है। ये दोष विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं और व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकते हैं। इन दोषों के कारण व्यक्ति को जीवन में विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
1. काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh)
कुंडली में राहु और केतु के एक साथ आने से काल सर्प दोष होता है। इसके अलावा अगर सातों बड़े ग्रह राहु और केतु की धुरी में हों, तो भी जातक की कुंडली में काल सर्प दोष होता है। इस दोष के कारण जातक को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। बनते-बनते काम बार-बार बिगड़ जाते हैं।
🔹कालसर्प दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय
- कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाएं।
- मां दुर्गा और भगवान गणेश की पूजा करें।
- मंगलवार को राहु और केतु के लिए अग्नि अनुष्ठान करें।
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- कालसर्प दोष निवारण के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ भी फलदायी होता है।

2. मंगल दोष (Mangalik Dosha)
वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष को खतरनाक दोषों में गिना जाता है। यह दोष रिश्तों में तनाव का कारण बनता है। जब कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तो मांगलिक दोष होता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। सफल और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों जीवनसाथी की कुंडली में मंगल दोष न हो। अगर दोनों में से किसी एक की कुंडली में मंगल दोष है, तो शादी के बाद रिश्ते में प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगते हैं।
🔹मंगल दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- मंगल ग्रह के लिए हवन करें।
- “ॐ भौमाय नमः” का 108 बार जाप करें।
- मांगलिक दोष निवारण पूजा विधि-विधान से करवाएं।
- मंगलवार को मंदिर में मां दुर्गा की पूजा करें और दीपक जलाएं।

3. केन्द्राधिपति दोष (Kendradhipati Dosha)
जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है, तो वह जातक केन्द्राधिपति दोष से प्रभावित होता है। शुभ ग्रह बृहस्पति, बुध, शुक्र और चंद्रमा हैं। इनमें से बृहस्पति और बुध के कारण होने वाला दोष अधिक गंभीर और प्रभावी माना जाता है। पहला, चौथा, सातवां और दसवां केंद्र भाव हैं। इसके बाद शुक्र और चंद्रमा का दोष आता है। उपरोक्त दोष केवल शुभ ग्रहों यानी बृहस्पति, बुध, चंद्रमा और शुक्र पर ही लागू होता है। यह शनि, मंगल और सूर्य जैसे ग्रहों पर लागू नहीं होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को करियर से जुड़ी समस्याओं जैसे नौकरी छूटना, व्यापार में परेशानी, पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं, शिक्षा का नुकसान आदि का सामना करना पड़ सकता है।
🔹केन्द्राधिपति दोष निवारण के लिए ज्योतिषीय उपाय
- प्रतिदिन मंदिर में भगवान शिव की पूजा करें।
- प्रतिदिन 21 बार ओम नमो नारायण का जाप करें।
- प्रतिदिन 11 बार ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।

4. पितृ दोष (Pitra Dosha)
इस दोष के बारे में सामान्य तह: सभी लोग जानते हैं। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध न करने, श्राद्ध कर्म में सम्मिलित न होने और पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ न करने से हर साल यह दोष हावी हो जाता है तथा व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं। इसके अलावा जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की राहु के साथ या सूर्य ग्रह की केतु के साथ युति होती है तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष बनता है। इस दोष के कारण जीवन में विकास रुक जाता है। ऐसे व्यक्तियों को या तो नौकरी नहीं मिलती या मिलती भी है तो बहुत कम वेतन पर। ऐसे व्यक्तियों को धन की हानि होने लगती है।
🔹 पितृ दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय
- प्रतिदिन कौओं तथा पक्षियों को दाना खिलाएं।
- काशी और गया अवश्य जाएं तथा वहां अपने दिवंगत पूर्वजों का तर्पण करें।
- किसी विद्वान ज्योतिषी से पूरे विधि-विधान से पितृ दोष निवारण पूजा करवाएं।
- अमावस्या के दिन सुबह सफेद गाय को हरी घास खिलाएं और उसका आशीर्वाद लें। ऐसा करने से आपको पितृ दोष की समस्या का समाधान मिलेगा।

5. गुरु चांडाल दोष (Guru Chandal Dosh)
सबसे बड़े नकारात्मक दोषों में से एक है ‘गुरु-चांडाल’ दोष। यह दोष तब बनता है जब कुंडली में राहु और बृहस्पति एक साथ हों। यह दोष कुंडली में जहां भी बनता है, हमेशा नुकसानदायक होता है। अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष रूप से नकारात्मक होता है। अगर समय रहते गुरु-चांडाल दोष का उपाय न किया जाए तो कुंडली के सभी शुभ योग टूट जाते हैं। अक्सर इस दोष के कारण व्यक्ति का चरित्र कमजोर हो जाता है। इस योग के कारण व्यक्ति को पाचन तंत्र, लीवर की समस्या और गंभीर रोग होने की संभावना रहती है। ऐसे लोग फिजूलखर्ची या इधर-उधर पैसा खर्च करते हैं और अपने भविष्य पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं।
🔹 गुरु चांडाल दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय
- गायत्री मंत्र का जाप करें।
- गायत्री मंत्र का जाप रोजाना सुबह और शाम 108 बार करें।
- हर गुरुवार को भगवान विष्णु और बृहस्पति ग्रह की पूजा करें।
- गुरुवार को गाय और जरूरतमंद लोगों को चने की दाल और गुड़ दान करें।
- चांडाल दोष पूजा करें।
- ‘ओम गुरुवाय नमः’ मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें।
- ‘ओम राहवे नमः’ मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें।

निष्कर्ष
जन्म कुंडली में कई प्रकार के दोष हो सकते हैं, लेकिन यह हानिकारक या शुभ होते हैं, इसमें व्यक्ति के जीवनसाथी, करियर, स्वास्थ्य, धन, और अन्य क्षेत्रों का प्रभाव होता है। इन दोषों को पहचानकर और उनके निवारण के उपाय अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकता है और विभिन्न समस्याओं से बच सकता है। उचित ज्योतिषीय सलाह और उपायों से जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाया जा सकता है।





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