आधुनिक युग में दशहरा का महत्व

आधुनिक युग में दशहरा का महत्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। प्राचीन काल से ही इसे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आधुनिक युग में इस पर्व का महत्व वही है जो पहले था? आइए जानते हैं।

आधुनिक जीवन में जहां हर चीज तकनीकी और डिजिटल हो रही है, वहां भी दशहरा का महत्व अब भी बरकरार है। इस पर्व का मुख्य संदेश है अच्छाई पर बुराई की विजय, जो आज के समय में भी हमें अच्छे आचरण और मानवता की ओर प्रोत्साहित करता है।

आज के युवा पीढ़ी को इस पर्व के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि जीवन में जब भी कठिनाइयां आएं, तो उन्हें साहस और संघर्ष से मात देनी चाहिए।

आधुनिक युग में जहां प्रदूषण और पारिस्थितिकी तनाव बढ़ रहे हैं, वहां दशहरा के इस पर्व को पारंपरिक तरीके से मनाने की जगह वातावरण-मित्र तरीके से मनाने की जरूरत है। रावण की पुतला दहन की प्रक्रिया में जो धुआं उत्पन्न होता है, वह हमारे पारिस्थितिकी तनाव को और भी बढ़ा सकता है। इसलिए हमें ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखा जा सके।

आज के समय में, जब सभी व्यस्त और तनावग्रस्त हैं, दशहरा एक ऐसा पर्व है जो हमें हमारी सांस्कृतिक मूल्यों और पारंपरिक जीवन शैली से जोड़ता है।

अंत में, हम कह सकते हैं कि दशहरा आज के आधुनिक युग में भी हमें अच्छाई, साहस और संघर्ष की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ प्रदान करता है, जो हमें जीवन की हर कठिनाइयों का सामना करने में मदद करती हैं।

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