भगवान शिव की आरती, उनके भक्तों द्वारा गाई जाने वाली एक धार्मिक प्रार्थना है, जिसमें देवों के देव महादेव की महिमा का गान किया जाता है। लेकिन क्या हम सच में समझते हैं कि इसके प्रत्येक श्लोक का अर्थ क्या है? इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने “शिव जी की आरती” के हर एक श्लोक के हिंदी अर्थ को विस्तार से समझाया है, ताकि जब आप इसे गाएं, तो न केवल आप इसके शब्दों को दोहरा रहे हों, बल्कि इसके प्रत्येक शब्द की गहराई और इसके भाव को भी महसूस कर सकें। हमारा उद्देश्य है कि आप शिव आरती के माध्यम से भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को और भी अधिक अर्थपूर्ण बना सकें। आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलें और शिव जी की आरती के प्रत्येक श्लोक का सच्चा अर्थ जानें।
शिव जी की आरती हिंदी अर्थ
-: आरती व हिंदी अर्थ :-
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
हिंदी अर्थ :- हे भगवान शिव शंकर जी आपकी जय हो, यह प्रभु आप ही ॐ शब्द के रचनाकार हो, हे प्रभु शिव आपकी जय हो। हे प्रभु आप ही ब्रह्मा हो, आप ही विष्णु हो, आप ही सभी देवताओं के स्वरूप हो अर्थात शिव जी को त्रिदेव का रूप माना गया है।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु आप ही एक मुख वाले नारायण हो, आप ही चार मुख वाले ब्रह्मा जी है, और आप ही पांच मुख वाले भगवान शिवजी है। हे प्रभु आप ही ब्रह्मा जी के वाहन हंस पर विराजमान हैं, और आप ही श्री विष्णु जी के वाहन गरुड़ के वाहक हैं, और शिव जी के वाहन बैल पर भी आप ही विराजते हैं।
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु ब्रह्मा जी के जैसे आप की दो भुजाएं हैं, विष्णु जी के जैसे आप की चार भुजाएं हैं, और शिवजी की भांति आपकी दस भुजाएं प्रभु आपके अंदर त्रिदेवों के गुण विराजमान है। तथा तीनों लोगों में आप सबसे प्रिय हो।
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु ब्रह्मा के जैसे आपने रुद्राक्ष की माला पहनी है, विष्णु जी के जैसे आपने सुंदर पुष्पों की माला पहनी है, और शिवजी के जैसे राक्षसों के कटे सिरों की माला को आप ने पहन रखा है। प्रभु ब्रह्मा के जैसे चंदन का तिलक व विष्णु जी के जैसे मृगमद कस्तूरी का तिलक और शिवजी की जैसे चंद्रमा आपके मस्तक पर सुशोभित है।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु ब्रह्मा जी की भांति आपने श्वेत वस्त्र पहने हैं, विष्णु जी के जैसे आपने पीले वस्त्र और शिवजी की भांति आपने बाघ की खाल के वस्त्र धारण किये है। आपके साथ ब्रह्मा जी के अनुयायी अर्थात ऋषि-मुनि और चारों वेद, तथा विष्णु जी के अनुयायी गरुड़ व उनके धर्मपालक, और शिव जी के अनुयायी भूत प्रेत आदि है।
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु आपके हाथों में ब्रह्मा जी की भांति कमंडल है, विष्णु जी की भांति हाथ में चक्र है, और शिव जी की भांति त्रिशूल है। हे प्रभु ब्रह्मा जी के जैसे आप ही इस संसार का निर्माण करते हैं। विष्णु जी की भांति इसके संचालक है। और शिव जी की भांति इस संसार का संहार करते हैं।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
हिंदी अर्थ :- हे प्रभु कोई अविवेकी व्यक्ति भी यह जान सकता है कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव आपके ही रूप है। ब्रह्मांड के प्रथम अक्षर ॐ के अंदर यह तीनों ईश्वर विराजमान है।
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
हिंदी अर्थ :- महादेव जी अपनी नगरी काशी में विश्वनाथ के रूप में विराजते हैं नंदी जिनकी सवारी है और जो एक ब्रह्मचारी है अर्थात मोह माया का त्याग करने वाले। जो भी भक्त सुबह उठकर हर रोज उन्हें भोग लगाता है भगवान शिव जी उस पर प्रसन्न होते हैं। और अपनी कृपा करते हैं।
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
हिंदी अर्थ :- तीनों गुणों से युक्त भगवान शिव शंकर जी की आरती का गायन जो भी भक्त करता है। शिवानंद स्वामी जी कहते हैं कि उनकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
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