श्री शिव चालीसा हिंदी अर्थ सहित
।। दोहा ।।
“श्री गणेश गिरिजा सुवन। मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम। देहु अभय वरदान”॥
हिंदी अर्थ :- चालीसा के रचयिता श्री अयोध्यादास जी रचना प्रारम्भ करने से पूर्व गणेश जी की वंदना करते हुए लिखते हैं कि जो समस्त मंगल कार्याें के ज्ञाता हैं उन गौरीपुत्र गणेश जी की जय हो! हे गणेश जी! इस कार्य को निर्विघ्न समाप्त करने का वरदान देें।
|| चौपाई ||
“जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला” ॥1॥
हिंदी अर्थ :- पार्वतीजी के स्वामी, आपकी जय हो! आप दीन लोगों पर कृपा करते हैं और साधु-संतजनों की रक्षा करते हैं।
“भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के”॥2॥
हिंदी अर्थ :- हे त्रिशूलधारी, नीलकण्ठ! आपके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है औ कानो में नागफनी के कुण्डल शोभायमान हैं।
“अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये” ॥3॥
हिंदी अर्थ :- आप गौर वर्णी हैं और सिर की जटाओं में गंगाजी बह रही हैं, गले में मूण्डों की माला है और शरीर पर भस्म लगा रखी है।
“वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे” ॥4॥
हिंदी अर्थ :- हे त्रिलोकी! आपके वस्त्र बाघ की खाल के हैं। आपकी शोभा को देखकर नाग और मुनिजन मोहित हो रहे हैं।
“मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी” ॥5॥
हिंदी अर्थ :- माता मैना की प्रिय पुत्री पार्वतीजी आपके बाईं ओर सुशोभित हैं इनकी शोभा अत्यंत निराली और न्यारी है।
“कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी “॥6॥
हिंदी अर्थ :- आपके हाथ में त्रिशल अपनी उत्तम छवि से शोभामान हो रहा है जिससे आप सदैव शत्रुओं का संहार करते रहते हैं।
“नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे” ॥7॥
हिंदी अर्थ :- आपके पास आपका वाहन नन्दी और गणेशजी कुछ इस प्रकार शोभायमान हो रहे हैं जैसे समुद्र के बीच में कमल खिले हों।
“कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ” ॥8॥
हिंदी अर्थ :- कार्तिकेयजी और उनके गण वहां पर विराजमान हैं। इस दृश्य की शोभा का वर्णन कोई नहीं कर सकता।
“देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा” ॥9॥
हिंदी अर्थ :- हे त्रिपुरारी! देवताओं ने जब भी सहायता की पुकार की, हे नाथ! आपने बिना विलम्ब किए उनके दु:ख दूर किए।
“किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी” ॥10॥
हिंदी अर्थ :- जब ताड़कासुर ने बहुत अत्याचार करने आरंभ किए तो सभी देवताओं ने आपसे रक्षा करने की प्रार्थना की।
“तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ” ॥11॥
हिंदी अर्थ :- आपने उसी समय कार्तिकेयजी को वहां भेजा और उन्होने पलक झपकने की देरी में उस राक्षस को मार गिराया।
“आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा” ॥12॥
हिंदी अर्थ :- आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का संहार किया। उससे आपका जो यश फैला उससे सारा संसार परिचित है।
“त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई” ॥13॥
हिंदी अर्थ :- त्रिपुर नामक राक्षस से युद्ध करके आपने सभी देवताओं पर कृपा की और उनको उस दुष्ट के आतंक से मुक्त किया।
“किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी” ॥14॥
हिंदी अर्थ :- राजा भगीरथ के तप के बाद आपने अपनी जटाओं में वास करती गंगा को जाने की आज्ञा दी। भगीरथ की प्रतिज्ञा आपके कारण ही पूरी हुई।
“दानिन महं तुम सम कोउ नाही।
सेवक स्तुति करत सदाहीं” ॥15॥
हिंदी अर्थ :- आपकी बराबरी करने वाला कोई दानी नहीं है। भक्त लोग सदा ही आपका गुणगान व यशोगान करते रहते हैं।
“वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई” ॥16॥
हिंदी अर्थ :- वेदों में भी आपकी महिमा का वर्णन है। परंतु अनादि होने के कारण आपका रहस्य कोई भी नहीं पा सका।
“प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला” ॥17॥
हिंदी अर्थ :- समुद्र मंथन से जो विषरूपी ज्वाला निकली उससे देवता और राक्षस दोनों जलने लगे और विह्वल हो गए।
“कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई” ॥18॥
हिंदी अर्थ :- हे नीलकंठ! तब आपने उस ज्वालारूपी विष का पान करके उनकी सहायता की। तभी से आपका नाम नीलकंठ पड़ गया।
“पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा” ॥19॥
हिंदी अर्थ :- लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व श्रीराम ने आपकी पूजा के बाद ही विजय प्राप्त की और विभीषण को लंका का राजा बना दिया।
“सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी” ॥20॥
हिंदी अर्थ :- हे महादेव! जब श्री रामचन्द्रजी सहस्त्र कमलों से आपकी पूजा कर रहे थे तब आपने फूलों में रहकर उनकी परीक्षा ली।
“एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई” ॥21॥
हिंदी अर्थ :- आपने अपनी माया से एक कमल का फूल छिपा दिया। तब रामचन्द्रजी ने नयनरूपी कमल से पूजा करने की बात सोची।
“कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर “॥22॥
हिंदी अर्थ :- इस प्रकार जब शिवजी ने अपने में रामचन्द्रजी की यह दृढ़ आस्था देखी तब आपने प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया।
“जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी” ॥23॥
हिंदी अर्थ :- हे शिव आप अनन्त हैं, अनश्वर हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप सबके हृदय में रहकर उन पर कृपा करते हैं।
“दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै” ॥24॥
हिंदी अर्थ :- दुष्ट विचार सदैव मुझे पीड़ित कर सताते रहते हैं और मैं भ्रमित रहता हूं जिसके कारण मुझे कहीं चैन नहीं मिलता है।
“त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो” ॥25॥
हिंदी अर्थ :- हे नाथ! मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो- इस प्रकार मैं आपको पुकार रहा हूं। आप आकर मुझे संकटों व कष्टो से उबारें।
“लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो” ॥26॥
हिंदी अर्थ :- हे पापसंहारक! अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को नष्ट करो और संकट से मेरा उद्धार कर मुझे भवसागर से पार लगाओ।
“मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई” ॥27॥
हिंदी अर्थ :- माता-पिता, भाई-बंधु सब सुख के साथी हैं। दुखों में कोई साथ नहीं देता, संकट आने पर कोई नहीं पूछता।
“स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी” ॥28॥
हिंदी अर्थ :- हे स्वामी! मुझे तो केवल आपसे ही आशा है, आप पर ही विश्वास है। आप आकर मेरा घोर संकट तथा कष्ट दूर करें।
“धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं” ॥29॥
हिंदी अर्थ :- आप सदा निर्धनों की धन द्वारा सहायता करते हैं। आपसे जिस फल की कामना की जाती है वही फल प्राप्त होता है।
“अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी “॥30॥
हिंदी अर्थ :- आपकी पूजा-अर्चना कैसे की जाती है, हमें तो यह भी मालूम नहीं। अतः हमारी जो भी भूल-चूक हुई हो उसे क्षमा कर दें।
“शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन “॥31॥
हिंदी अर्थ :- आप ही कष्टों को नष्ट करने वाले हैं। सभी शुभ कार्यो को कराने वाले हैं तथा सब विध्न-बाधाओं को दूर करके कल्याण करते हैं।
“योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं” ॥32॥
हिंदी अर्थ :- योगी, यति और मुनि सभी आपका ध्यान करते हैं। नारद मुनि और देवी सरस्वती (शारदा) भी आपको नमन करते हैं।
“नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय” ॥33॥
हिंदी अर्थ :- ॐ नमः शिवाय’ इस पञ्चाक्षर मंत्र का जाप करके भी ब्रह्मा आदि देवता आपकी महिमा का पार नहीं प सके।
“जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई” ॥34॥
हिंदी अर्थ :- जो कोई भी मन तथा निष्ठा से शिव चालीसा का पाठ करता है, शंकर भगवान उसकी सहायता कर उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।
“ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी” ॥35॥
हिंदी अर्थ :- हे करुणानिधान! कर्ज के बोझ से दबा हुआ वयक्ति आपके नाम का जाप करे तो वह ऋण-मुक्त हो सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।
“पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई” ॥36॥
हिंदी अर्थ :- जो कोई भक्त पुत्र प्राप्ति की कामना से पाठ करता है, तो आपकी क्रिपा से उसे पुत्र-रत्न की प्राप्ति होती है।
“पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे” ॥37॥
हिंदी अर्थ :- हर श्रद्धालु तथा भक्त ओ प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को विद्वान पण्डित को बुलाकर पूजा तथा हवन करवाना चाहिए।
“त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा” ॥38॥
हिंदी अर्थ :- जो भक्त सदैव त्रयोदशी का व्रत करता है, उसके शरीर में कोई रोग नहीं रहता और किसी प्रकार का क्लेश भी मन में नहीं रहता।
“धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे” ॥39॥
हिंदी अर्थ :- धूप-दीप और नैवेध से पूजन करके शिवजी की मूर्ति या चित्र के सम्मुख बैठकर शिव चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।
“जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे” ॥40॥
हिंदी अर्थ :- इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मनुष्य शिवलोक में वास करने लगता है अथार्त मुक्त हो जाता है।
“कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी” ॥41॥
हिंदी अर्थ :- अयोध्यादासजी कहते हैं कि शंकर भगवान, हमें आपसे ही आशा है। आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करके हमारे दुखों को दूर करें।
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