श्री विष्णु चालीसा – Shri Vishnu Chalisa

श्री विष्णु चालीसा – Shri Vishnu Chalisa

श्री विष्णु चालीसा एक पवित्र और शक्तिशाली भजन है जो भगवान विष्णु की स्तुति और आराधना के लिए समर्पित है। यह चालीसा 40 छंदों में भगवान विष्णु की महिमा, उनके दिव्य गुणों और उनके अनंत रूपों का वर्णन करता है।

भगवान विष्णु: भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) में से एक हैं। वे सृष्टि के पालनहार हैं और सभी जीवों की रक्षा और उनके जीवन को सुचारू रूप से चलाने का कार्य करते हैं। भगवान विष्णु ने समय-समय पर विभिन्न अवतारों (जैसे राम और कृष्ण) के रूप में अवतरित होकर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश किया है।

श्री विष्णु चालीसा के फायदे:

  1. शांति और सुरक्षा: श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है।
  2. रोगों से मुक्ति: यह चालीसा शरीर और मन के रोगों को दूर करने में सहायक है।
  3. धन और समृद्धि: भगवान विष्णु को धन और समृद्धि का देवता माना जाता है, और उनकी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  4. दुखों का नाश: यह चालीसा जीवन में आने वाले सभी प्रकार के दुखों और कष्टों को दूर करने में सहायक है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: श्री विष्णु चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कब पढ़ना चाहिए:

  1. प्रतिदिन: श्री विष्णु चालीसा को प्रतिदिन सुबह या शाम के समय पढ़ना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
  2. विशेष अवसरों पर: विष्णु पूजा, एकादशी, वैकुंठ एकादशी, और अन्य धार्मिक पर्वों पर इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  3. संकट के समय: जब व्यक्ति किसी भी प्रकार के संकट या समस्या का सामना कर रहा हो, तब श्री विष्णु चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।
  4. मंत्र जाप के बाद: विष्णु मंत्र जाप के बाद श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से मंत्र की शक्ति और अधिक बढ़ जाती है।

श्री विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

॥ दोहा॥

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ।

॥ चौपाई ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी ।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥

तन पर पीतांबर अति सोहत ।
बैजन्ती माला मन मोहत ॥4॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे ।
देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

संतभक्त सज्जन मनरंजन ।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥8॥

पाप काट भव सिंधु उतारण ।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण ।
केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।
तब तुम रूप राम का धारा ॥

भार उतार असुर दल मारा ।
रावण आदिक को संहारा ॥12॥

आप वराह रूप बनाया ।
हरण्याक्ष को मार गिराया ॥

धर मत्स्य तन सिंधु बनाया ।
चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वंद मचाया ।
रूप मोहनी आप दिखाया ॥

देवन को अमृत पान कराया ।
असुरन को छवि से बहलाया ॥16॥

कूर्म रूप धर सिंधु मझाया ।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया ।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया ॥

मोहित बनकर खलहि नचाया ।
उसही कर से भस्म कराया ॥20॥

असुर जलंधर अति बलदाई ।
शंकर से उन कीन्ह लडाई ॥

हार पार शिव सकल बनाई ।
कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।
बतलाई सब विपत कहानी ॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥24॥

देखत तीन दनुज शैतानी ।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।
हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।
हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥

गणिका और अजामिल तारे ।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥28॥

हरहु सकल संताप हमारे ।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चहत आपका सेवक दर्शन ।
करहु दया अपनी मधुसूदन ॥

जानूं नहीं योग्य जप पूजन ।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥32॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥

करहुं आपका किस विधि पूजन ।
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।
कौन भांति मैं करहु समर्पण ॥

सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।
हर्षित रहत परम गति पाई ॥36॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई ।
निज जन जान लेव अपनाई ॥

पाप दोष संताप नशाओ ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ ॥

सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ ।
निज चरनन का दास बनाओ ॥

निगम सदा ये विनय सुनावै ।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥40॥

श्री विष्णु चालीसा – Shri Vishnu Chalisa

श्री विष्णु चालीसा – Shri Vishnu Chalisa

Shri Vishnu Chalisa PDF In Hindi    ⇒    Download Now



Index