भजन
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
दोहा – आया है सो जाएगा,
राजा रंक फकीर,
कोई सिंहासन चढ़ चले,
कोई बंधे जंजीर।
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
ईस जगत सराऐ में,
मुसाफीर रहना दो दिन का,
क्यों विर्था करे गुमान,
मुरख इस धन और जोबन का,
बंद मुट्ठी आया जग में,
खाली हाथ जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
वो कहाँ गए बलवान,
तीन बार धरती तोलणियाँ,
ज्यारी एडी पड़ती धाक,
नाही कोई शामें बोलणियाँ,
निर्भय डोलणियाँ वे तो,
गया रे अकेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
नहीं छोड़ सक्या कोई,
माया गिणी गिणाई ने,
गढ किला री निव छोड़ गया,
चिणी चिणाई ने,
चिणी रे चिणाई रह गई,
गया है अकेला,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
ईस काया का है भाग्य,
भाग्य बिन पाया नहीं जाता,
कहे ‘शर्मा’ बिना नसिब,
तोड़ फल खाया नहीं जाता,
भवसागर से तर ले बन्दे,
हरी गुण गायले,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला ॥