हरि तुम हरो जन की भीर – भजन – Hari Tum Haro Jan Ki Bhir

हरि तुम हरो जन की भीर – भजन – Hari Tum Haro Jan Ki Bhir

भजन

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर…

भगत कारण रूप नरहरि धर्‌यो आप शरीर॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्‌यो नाहिन धीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर…

बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥