चुनावी बॉन्ड(Electoral bond) क्या है? यह कैसे काम करता है? आइए ब्लॉग पोस्ट की मदद से जानें

चुनावी बॉन्ड(Electoral bond) क्या है? यह कैसे काम करता है? आइए ब्लॉग पोस्ट की मदद से जानें

चुनावी मौसम की शुरुआत के साथ ही, आपने “चुनावी बॉन्ड(electoral bond)” शब्द अवश्य सुना होगा। यह शब्द न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम चर्चाओं में भी गूंज रहा है। लेकिन क्या वास्तव में हम समझते हैं कि चुनावी बॉन्ड क्या है और यह कैसे काम करता है? आइए इस अनूठे वित्तीय उपकरण को समझने की कोशिश करते हैं, जिसे भारत सरकार ने राजनीतिक दान की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य बनाने के उद्देश्य से पेश किया है।

चुनावी बॉन्ड(electoral bond), असल में, एक प्रकार का वित्तीय उपकरण है जिसे विशेष रूप से राजनीतिक फंडिंग के लिए डिजाइन किया गया है। इसे नागरिकों और कॉर्पोरेट संस्थानों द्वारा खरीदा जा सकता है ताकि वे अपनी पसंद के राजनीतिक दलों को अधिक सुरक्षित और गुमनाम तरीके से आर्थिक सहायता प्रदान कर सकें। इस प्रणाली के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को स्वच्छ और पारदर्शी बनाना है, साथ ही साथ काले धन के प्रवाह को रोकना भी है।

आइए इस विषय पर गहराई से चर्चा करें और जानें कि चुनावी बॉन्ड किस प्रकार से राजनीतिक दान के परंपरागत तरीकों से अलग है, और यह किस तरह से राजनीतिक फंडिंग की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ रहा है।

चुनावी बॉन्ड(electoral bond) एक प्रकार का बैंक नोट होता है जो भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता है। ये बॉन्ड राजनीतिक दलों को दान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। चुनावी बॉन्ड ₹1,000, ₹10,000, ₹1 लाख, ₹10 लाख और ₹1 करोड़ के गुणकों में बेचे जाते हैं और इन्हें एक KYC-अनुपालन खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता है .

भारत सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड(electoral bond) योजना 2018 की शुरुआत की। इस योजना के तहत, चुनावी बॉन्ड(electoral bond) भारतीय नागरिकों या भारत में स्थापित संस्थाओं द्वारा खरीदे जा सकते हैं। ये बॉन्ड केवल उन राजनीतिक दलों को दान किए जा सकते हैं जिन्होंने पिछले आम चुनाव में कम से कम 1% वोट प्राप्त किए हों। चुनावी बॉन्ड का उपयोग केवल अधिकृत बैंक खाते के माध्यम से नकदीकरण किया जा सकता है

चुनावी बॉन्ड(electoral bond) एक अनूठी वित्तीय संरचना है जो राजनीतिक दलों को धन दान करने के लिए अनामिता (गोपनीयता) और सुरक्षा प्रदान करती है। इसकी कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में समझाई जा सकती है:

  1. खरीदना: व्यक्ति या कंपनियां भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की निर्दिष्ट शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकते हैं। खरीदी गई राशि का भुगतान डिजिटल माध्यम से या चेक के जरिए किया जाता है, जिससे लेन-देन का रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है।
  2. अवधि: चुनावी बॉन्ड 10 दिनों की विशेष अवधियों में उपलब्ध होते हैं, जो जनवरी, अप्रैल, जुलाई, और अक्टूबर माह में आते हैं।
  3. दान: खरीदे गए बॉन्ड को दानकर्ता राजनीतिक दलों को दान कर सकते हैं। ये बॉन्ड केवल उन्हीं राजनीतिक दलों को दान किए जा सकते हैं जिन्होंने पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कम से कम 1% वोट प्राप्त किया हो।
  4. भुनाना: राजनीतिक दल इन बॉन्ड को केवल एक नामित बैंक खाते के माध्यम से भुना सकते हैं, जो चुनाव आयोग ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत होता है। यह सुनिश्चित करता है कि धन का प्रवाह वैध राजनीतिक दलों तक ही सीमित रहे।
  5. गोपनीयता: दानकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है, जिससे उन्हें अपनी दान राशि को लेकर एक निश्चित स्तर की अनामिता प्राप्त होती है। हालांकि, इस विशेषता को लेकर समय-समय पर विवाद भी उठे हैं।
  6. समय सीमा: चुनावी बॉन्ड केवल निर्दिष्ट अवधि के भीतर ही भुनाए जा सकते हैं, आमतौर पर खरीद के 15 दिनों के भीतर। इसके बाद बॉन्ड अवैध हो जाते हैं।

चुनावी बॉन्ड(electoral bond) योजना का उद्देश्य राजनीतिक दलों को दान करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है, हालांकि इसे लेकर विवाद और चिंताएँ भी व्यक्त की गई हैं।

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