व्रत कथा
टेसू झेंजी विवाह की पौराणिक मान्यता:
एक वरदान के अनुसार, सबसे पहिले टेसू का विवाह होगा, फिर उसके बाद ही कोई विवाह उत्सव की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेगा।
मान्यता के अनुसार, भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को महाभारत का युद्ध मे आते समय झेंजी से प्रेम हो गया। उन्होंने युद्ध से लौटकर झेंजी से विवाह करने का वचन दिया, लेकिन अपनी माँ को दिए वचन, कि हारने वाले पक्ष की तरफ से वह युद्ध करेंगे के चलते वह कौरवों की तरफ से युद्ध करने आ गए और श्री कृष्ण ने उनका सिर माँग लिया। परंतु बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की अपनी इच्छा व्यक्त की। तब श्री कृष्ण ने उनके सिर को एक ऊँचे पर्वत पर तीन लकड़ी के डंडों पर रख दिया। इसी कारण टेसू की तीन टाँगें बनाई जाती हैं।
इसके साथ-साथ बर्बरीक ने अपनी विवाह ना होने की बात भी भगवान श्री कृष्ण के सामने रखी। इस कारण भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया की, प्रत्येक वर्ष सर्वप्रथम तुम्हारा विवाह ही संपन्न होगा, उसके पश्चात ही कोई विवाह के शुभ कार्य प्रारंभ होंगे।
एक मत के अनुसार, विवाहों के आरंभ होने से पहले टेसू-झेंजी का विवाह इसलिए भी किया जाता है, ताकि जो शकुन-अपशकुन और विघ्न बाधाऐं आनी हों, वह इन्हीं के विवाह में आजाये। तथा बाद में लोगों के बेटे-बेटियों के विवाह अच्छी तरह सम्पन्न हो सकें।


I just couldn’t depart your web site before suggesting that I actually enjoyed the standard information a person provide for your visitors? Is gonna be back often in order to check up on new posts