पापांकुशा एकादशी व्रत कथा – Papankusha Ekadashi Vrat Katha

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा – Papankusha Ekadashi Vrat Katha

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण कथा है, जो आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस कथा का वर्णन पुराणों में मिलता है जहाँ भगवान विष्णु ने राजा युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा बताई थी।

कथा के अनुसार, एक बार एक बड़े पापी चोर ने अपने जीवन के पापों से मुक्ति पाने के लिए एक ऋषि की शरण में जाकर उपाय पूछा। ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। चोर ने ऋषि की बात मानी और पूरे मन से एकादशी का व्रत किया, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की। उसकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप धुल गए और वह मोक्ष को प्राप्त हुआ।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा हमें सिखाती है कि किसी भी प्राणी द्वारा किए गए पापों का नाश करने की शक्ति इस व्रत में है। यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

व्रत कथा

पापांकुशा एकादशी का महत्त्व:
अर्जुन कहने लगे कि हे जगदीश्वर! मैंने आश्विन कृष्ण एकादशी अर्थात इंदिरा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे आश्विन/क्वार माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में भी बतलाइये। इस एकादशी का क्या नाम है तथा इसके व्रत का क्या विधान है? इसका व्रत करने से किस फल की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे कुंतीनंदन! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है। इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रत करने वाला अक्षय पुण्य का भागी होता है।

आश्विन शुक्ल एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इस पूजन के द्वारा मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। हे अर्जुन! जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल की प्राप्ति करते हैं, वह फल इस एकादशी के दिन क्षीर-सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु को नमस्कार कर देने से मिल जाता है और मनुष्य को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते।

मनुष्य को पापों से बचने का दृढ़-संकल्प करना चाहिए। भगवान विष्णु का ध्यान-स्मरण किसी भी रूप में सुखदायक और पापनाशक है, परंतु पापांकुशा एकादशी के दिन प्रभु का स्मरण-कीर्तन सभी क्लेशों व पापों का शमन कर देता है।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा!
प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था, वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में बीता।

जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है हम तुम्हें कल लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, हे ऋषिवर! मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं।

कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करके को कहा।

महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया। जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए।
जय श्री हरि !