माँ सरस्वती आरती हिंदी अर्थ
-: आरती व हिंदी अर्थ :-
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनि, त्रिभुवन विख्याता ॥
हिंदी अर्थ :- हे माता ! सरस्वती आपकी जय हो, हम सबकी प्यारी माता आपकी जय हो, सद्गुणों को धारण करने वाली माता हर जगह आपका वैभव फैला है। आप की महिमा तीनो लोको में फैली हुई है।
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥
हिंदी अर्थ :- हे माता ! आप चंद्रमा की भांति शीतल और वीणावादिनी है। आप पद्मासन की मुद्रा में कमल के फूल पर विराजमान है। हे माता ! आप सबका मंगल करने वाले हो। आप सुंदर हंस की सवारी करती हो और कोई भी आपके तेज की तुलना नहीं कर सकता।
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥
हिंदी अर्थ :- हे माँ ! सरस्वती आपके बाएं हाथ में वीणा है और दाएं हाथ में माला है। आपके सिर पर मणि रत्नों से बना हुआ मुकुट है। और आपके गले में मोतियों की माला अति सुंदर लग रही है।
देवी शरण में आये, उनका उद्धार किया ।
पैठि मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥
हिंदी अर्थ :- हे माता ! जो भी आप की शरण में आता है आप उसका उद्धार कर देती है। हे माँ ! जब भी आप मंथरा के जैसे किसी की जीभा पर बैठती है। तो रावण के जैसे अभिमानी का भी सर्वनाश हो जाता है। अर्थात त्रेता युग में आपने जब कैकई की दासी मंथरा की बुद्धि भ्रष्ट कर दी थी। जिस कारण श्रीराम जी अपने पिताजी के वचनों का पालन करने के लिए सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ वनवास गए। और वहां आपने रावण की बुद्धि को फेरा और उसने सीता जी का हरण कर लिया। और अपने और राक्षस कुल का सर्वनाश करवा दिया।
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥
हिंदी अर्थ :- हे देवी ! आप हम सबको विद्या का ज्ञान देती हो और हमारे जीवन में ज्ञान के प्रकाश को भर देती हो। हे माता ! आप मोह माया, अज्ञानता और अंधकार को इस दुनिया से मिटाकर सबका कल्याण करती हो।
धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥
हिंदी अर्थ :- हे माता ! हम सब आपको धूप, दीप अर्पित करते हैं और फल व मेले का भोग लगाते हैं। हे माँ आप यह स्वीकार कीजिए। आप हम सबको विद्या का ज्ञान ग्रहण करने की शक्ति प्रदान करें और हम सबका उद्धार करें।
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥
हिंदी अर्थ :- जो भक्त सच्चे मन से मां सरस्वती जी की आरती का गायन करता है। उसका कल्याण हो जाता है और हर सुख की प्राप्ति होती है। और वह ज्ञान और भक्ति को प्राप्त करता है।
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