Category: व्रत कथाएँ

व्रत कथाएँ हमारे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा हैं। इन कथाओं में न केवल धार्मिक महत्व को बताया गया है, बल्कि इनसे नैतिक शिक्षा और जीवन मूल्यों की भी सीख मिलती है। व्रत कथाएँ विभिन्न देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं, और मान्यताओं से जुड़ी होती हैं, जो विशेष व्रत या त्यौहारों के दौरान पढ़ी और सुनी जाती हैं। ये कथाएँ हमें सिखाती हैं कि किस प्रकार विश्वास, भक्ति, और समर्पण के बल पर जीवन के कठिनाइयों और संघर्षों का सामना किया जा सकता है।

हम आपके लिए लाए हैं विभिन्न व्रतों से जुड़ी अद्भुत कथाएँ, जो न सिर्फ आपके धार्मिक ज्ञान को बढ़ाएंगी, बल्कि आपके मन को भी शांति प्रदान करेंगी। हमारे संग्रह में शामिल हैं करवा चौथ, सावन के सोमवार, नवरात्रि, एकादशी, और अन्य कई व्रतों से जुड़ी कथाएँ। हम सरल और सहज भाषा में इन कथाओं को प्रस्तुत करते हैं, जिससे कि हर उम्र और वर्ग के लोग इन्हें आसानी से समझ सकें।

आइए, हमारे साथ इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलें और अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति को आमंत्रित करें।

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा – Shri Brihaspatidev Ji Vrat Katha

बृहस्पतिवार व्रत कथा में, एक दानशील राजा की कहानी है जिसकी रानी दान-पुण्य में रुचि नहीं रखती। बृहस्पतिदेव साधु के रूप में आकर भिक्षा मांगते हैं, लेकिन रानी उन्हें भिक्षा देने से इनकार कर देती है। इस पर बृहस्पतिदेव ने [...]

गोपेश्वर महादेव की लीला कथा – Gopeshwar Mahadev Leela Katha

गोपेश्वर महादेव की लीला" एक अद्भुत कथा है जो भगवान शिव और श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करती है। इस कथा के अनुसार, एक बार शरद पूर्णिमा की रात्रि में, भगवान शिव वृंदावन में श्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला देखने [...]

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा – Baidyanath Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा" का सार यह है कि रावण ने अपनी घोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश की। उसने अपने नौ सिर काटकर भगवान शिव की आराधना की और जब वह दसवां सिर काटने [...]

श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा – Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha

प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे और तपस्या करते थे। क्षेत्र में कई ऐसे ऋषि थे जो गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश किया करते थे। [...]

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा – Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha

शुक्रवार का दिन संतोषी माता के व्रत और आराधना के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन संतोषी माता व्रत कथा का पाठ किया जाता है, जो जीवन में संतोष, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। [...]

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा – Shri Somnath Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha

शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग है। पुराणो में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना से सम्बंधित कथा इस प्रकार है: जब प्रजापति दक्ष ने अपनी सभी सत्ताइस पुत्रियों का विवाह चन्द्रमा के साथ कर दिया, तो [...]

महा शिवरात्रि पूजन पौराणिक व्रत कथा – Maha Shivaratri Pujan Pauranik Vrat Katha

महाशिवरात्रि पूजन व्रत कथा के से जुड़ी एक रोचक पौराणिक कथा... एक बार चित्रभानु नामक एक शिकारी था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन ऋण समय पर न चुका [...]

आमलकी एकादशी व्रत कथा – Amalaki Ekadashi Vrat Katha

आमलकी एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले: हे जनार्दन! आपने फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का सुंदर वर्णन करते हुए सुनाया। अब आप फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए। [...]

श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा – Shri Bhimashankar Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha

व्रत कथा भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है, कि पुराने समय में भीम नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस कुंभकर्ण का पुत्र था। परन्तु उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के [...]

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा! – Hiranyagarbh Shri Dudheshwarnath Mahadev Utpatti Pauranik Katha

व्रत कथा ॐ हौं जूं स: ॐ भू र्भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम् ॥ उर्वारुक मिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। स्व: भुव: भू ॐ स: जूं हौं ॐ ॥ द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त अनेक ऐसे हिरण्यगर्भ शिवलिंग हैं, [...]

प्रेरक कथा: मैं ना होता तो क्या होता – Prerak katha: Main Nahin Hota To Kya Hota?

इस प्रेरक कथा में, हनुमानजी श्रीराम से कहते हैं कि यदि वे लंका न जाते, तो उनके जीवन में बड़ी कमी रह जाती। विभीषण से मिलकर और अशोक वाटिका में सीताजी का पता लगाकर, हनुमानजी को यह समझ आया कि [...]

प्रेरक कथा: श्री कृष्ण मोर से, तेरा पंख सदैव मेरे शीश पर होगा! – Prerak Katha Shri Krishn Mor Se Tera Aankh Sadaiv Mere Shish

व्रत कथा श्री कृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर बहुत चतुर था और श्री कृष्ण का भक्त था, वह श्री कृष्ण की कृपा पाना चाहता था। इसके लिए उस मोर ने [...]

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 14 – Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 14

व्रत कथा श्रीनारायणजी बोले, 'इसके बाद चिन्ता से आतुर राजा दृढ़धन्वा के घर बाल्मीकि मुनि आये जिन्होंने परम अद्भुत तथा सुन्दर रामचन्द्रजी का चरित्र वर्णन किया है। राजा दृढ़धन्वा ने दूर से ही बाल्मीकि मुनि को आते हुए देखकर घबड़ाहट [...]

आशा दशमी पौराणिक व्रत कथा – Asha Dashami Pauranik Vrat Katha

व्रत कथा आशा दशमी की पौराणिक व्रत कथा, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी, इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में निषध देश में एक राजा राज्य करते थे, जिनका नाम नल था। उनके भाई पुष्कर ने युद्ध [...]

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 32 – Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 32

व्रत कथा मुझे सहारा है तेरा, सब जग के पालनहार । कार्तिक मास के माहात्म्य का बत्तीसवाँ विस्तार ॥ भगवान श्रीकृष्ण ने आगे कहा- हे प्रिये! यमराज की आज्ञा शिरोधार्य करते हुए प्रेतपति धनेश्वर को नरकों के समीप ले गया [...]

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 33 – Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 33

व्रत कथा दया दृष्टि कर हृदय में, भव भक्ति उपजाओ। तैंतीसवाँ अध्याय लिखूँ, कृपादृष्टि बरसाओ।। सूतजी ने कहा- इस प्रकार अपनी अत्यन्त प्रिय सत्यभामा को यह कथा सुनाकर भगवान श्रीकृष्ण सन्ध्योपासना करने के लिए माता के घर में गये। यह [...]