माँ बगलामुखी की पौराणिक कथा हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है। यह कहानी एक दैवीय शक्ति के अवतारण की है, जो देवताओं और धरती के प्राणियों की रक्षा के लिए प्रकट हुई थीं। कहा जाता है कि प्राचीन समय में, जब एक असुर ने देवताओं पर आक्रमण किया और उन्हें पराजित करने की कगार पर ला दिया, तब देवताओं ने माँ बगलामुखी की आराधना की।
माँ बगलामुखी ने असुर की वाणी को स्तंभित कर दिया और उसे युद्ध में पराजित किया, जिससे देवताओं की रक्षा हुई। इसलिए, माँ बगलामुखी को वाक्-स्तंभन, शत्रु नाश, और न्याय प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उनकी उपासना से भक्तों को जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति और न्याय की प्राप्ति होती है।
माँ बगलामुखी की आराधना में उनके भक्त पीत वस्त्र धारण करते हैं और पीले रंग की सामग्री का प्रयोग करते हैं, क्योंकि पीला रंग उनकी आराधना का प्रमुख रंग माना जाता है। इस कथा के माध्यम से माँ बगलामुखी की शक्ति और महिमा का प्रदर्शन किया गया है।
व्रत कथा
एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।
इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा: शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं।
तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।
मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का देवी बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।
दसमहाविधाओ मे से आठवी महाविधा है देवी बगलामुखी। इनकी उपासना इनके भक्त शत्रु नाश, वाकसिद्ध और वाद विवाद मे विजय के लिए करते है। इनमे सारे ब्राह्मण की शक्ति का समावेश है, इनकी उपासना से भक्त के जीवन की हर बाधा दूर होती है और शत्रुओ का नाश के साथ साथ बुरी शक्तियों का भी नाश करती है। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है।