श्री सीता माता जी, जिन्हें देवी सीता के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में आदर्श पत्नी और माँ के रूप में पूजी जाती हैं। वे भगवान राम की पत्नी हैं और उनकी अटूट भक्ति, धैर्य और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। श्री सीता माता जी की आरती उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करती है। यह आरती सीता माँ की दिव्यता का गुणगान करती है और भक्तों में उनके जैसी धैर्य और शुद्धता के गुणों को विकसित करने की प्रेरणा जगाती है।
श्री सीता माता जी की आरती कब की जाती है
श्री सीता माता जी की आरती विशेष रूप से राम नवमी, विवाह पंचमी, और नवरात्रि के दौरान की जाती है। हालांकि, भक्त अपनी निजी पूजा में भी रोजाना या समय-समय पर इस आरती का पाठ कर सकते हैं।
श्री सीता माता जी की आरती की पूजा विधि
- तैयारी: सीता माता जी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसे साफ करें।
- दीप प्रज्वलित करें: दीपक जलाएं और सीता माता जी के सामने रखें।
- पुष्प अर्पित करें: माँ सीता को पुष्प अर्पित करें।
- आरती का पाठ: श्री सीता माता जी की आरती का पाठ करें। आरती के दौरान भक्त घंटी बजा सकते हैं और आरती की थाली को घुमा सकते हैं।
- प्रसाद अर्पण: आरती के बाद, सीता माता जी को प्रसाद के रूप में फल, मिठाई या अन्य नैवेद्य अर्पित करें। यह प्रसाद बाद में भक्तों में वितरित किया जा सकता है।
- मंत्र जाप और ध्यान: आरती के पश्चात, सीता माता के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें। माँ सीता के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करते हुए उनसे आशीर्वाद की कामना करें।
- आरती समाप्ति: आरती का समापन करें और माँ सीता से जीवन में शांति, समृद्धि, और सद्भाव की प्रार्थना करें।
॥ आरती ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
श्री सीता माता जी की आरती का महत्व
श्री सीता माता जी की आरती करने का महत्व इसमें निहित है कि यह भक्तों को उनके जैसे आदर्श गुणों – पतिव्रता धर्म, पवित्रता, धैर्य, और त्याग – को अपनाने की प्रेरणा देता है। माँ सीता की आरती उनके प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है, और उनसे जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन और सहायता की कामना करती है।
इस आरती के माध्यम से, भक्त न केवल देवी सीता की आराधना करते हैं, बल्कि उनके द्वारा प्रदर्शित आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। यह आरती भक्तों को आत्मिक शांति, संतोष, और ईश्वरीय आशीर्वाद की अनुभूति प्रदान करती है।