जय संतोषी माता आरती – Jai Santoshi Mata Aarti

जय संतोषी माता आरती – Jai Santoshi Mata Aarti

संतोषी माता, हिंदू धर्म में संतोष और शांति की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनकी आराधना करने वाले भक्त जीवन में संतोष, सुख, और कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं। ‘जय संतोषी माता’ आरती, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन की जाती है, जिसे माता के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह आरती संतोषी माता की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका उद्देश्य जीवन में संतुलन, शांति, और मानसिक शांति प्राप्त करना है।

॥ आरती ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥

सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥

संतोषी माता हिंदू धर्म की एक पूजनीय देवी हैं, जिन्हें संतोष, शांति, और सुख का प्रतीक माना जाता है। ‘जय संतोषी माता’ आरती उनके भक्तों द्वारा अत्यधिक श्रद्धा के साथ की जाती है। इस आरती के माध्यम से भक्त देवी से आशीर्वाद की कामना करते हैं और जीवन में संतोष और शांति पाने की प्रार्थना करते हैं। संतोषी माता की आराधना विशेष रूप से उन भक्तों के बीच लोकप्रिय है जो अपने जीवन में संतोष, मानसिक शांति, और कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं।

संतोषी माता की पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग व्रत और आरती है, जो भक्तों को नियमित रूप से शुक्रवार के दिन किया जाता है। इस आरती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसे करने से माता के भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और जीवन में संतुलन और संतोष बनाए रखने में मदद मिलती है।

संतोषी माता पूजा विधि

संतोषी माता की पूजा  सरल और भक्तिपूर्ण तरीके से की जाती है, और विशेष रूप से शुक्रवार को पूजा करने का महत्त्व अधिक है। यह व्रत और पूजा, संतोषी माता के भक्तों द्वारा शांति, संतोष और समृद्धि की कामना के लिए की जाती है। पूजा विधि निम्नलिखित है:

1. स्नान और शुद्धिकरण:

  • पूजा से पहले प्रातः स्नान करके शुद्ध हो जाएं।
  • पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।

2. पूजा का स्थान:

  • घर के किसी पवित्र स्थान पर या मंदिर में संतोषी माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • एक साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर पूजा की थाली तैयार करें।

3. संकल्प और दीप प्रज्वलन:

  • माता संतोषी की पूजा का संकल्प लें और एक घी का दीपक जलाएं।
  • माँ से प्रार्थना करें कि वह आपकी पूजा स्वीकार करें और आपके जीवन में संतोष लाएं।

4. संतोषी माता की आराधना:

  • संतोषी माता को लाल चूनरी, फल-फूल, और गुड़-चने का नैवेद्य अर्पित करें।
  • संतोषी माता की आरती गाएं और धूप, दीप, पुष्प, और नैवेद्य से माता की पूजा करें।

5. नैवेद्य (प्रसाद):

  • संतोषी माता की पूजा में गुड़ और चने का प्रसाद अर्पित करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह माता का प्रिय भोग माना जाता है।
  • माता को अर्पित किए गए प्रसाद को परिवार के सदस्यों और गरीबों में वितरित करें।

6. व्रत की विधि:

  • पूजा के दिन व्रत रखें। इस दिन खटाई (खट्टी चीज़ें) से परहेज़ करें।
  • केवल फलाहार करें या पूजा के बाद माता के प्रसाद से व्रत खोलें।

7. आरती और कथा:

  • पूजा के अंत में “जय संतोषी माता” की आरती गाएं।
  • संतोषी माता की व्रत कथा पढ़ें या सुनें। यह कथा पूजा का महत्वपूर्ण अंग है और माता की कृपा पाने के लिए इसे अवश्य करना चाहिए।

8. प्रार्थना और आशीर्वाद:

  • माता से अपने जीवन में संतोष, सुख और समृद्धि की कामना करें।
  • अंत में सभी पर माता का आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करें।

9. व्रत का समापन:

  • संतोषी माता का व्रत कम से कम 16 शुक्रवार तक रखने का नियम है। इस दौरान पूजा नियमित रूप से की जाती है और माता का व्रत कथा सुनने के बाद ही व्रत खोला जाता है।
  • 16वें शुक्रवार को व्रत का उद्यापन (समापन) किया जाता है, जिसमें गरीबों को भोजन करवाना और दान देना शुभ माना जाता है।

10. व्रत के लाभ:

  • संतोषी माता का व्रत और पूजा भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करता है, जीवन में संतोष और मानसिक शांति लाता है, और जीवन में आ रहे कष्टों का निवारण करता है।

इस पूजा विधि से भक्त संतोषी माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति और संतोष की प्राप्ति कर सकते हैं।

2 Replies to “जय संतोषी माता आरती – Jai Santoshi Mata Aarti”

  1. hello!,I like your writing so much! share we communicate more about your article on AOL? I require a specialist on this area to solve my problem. May be that’s you! Looking forward to see you.

  2. Hello, you used to write magnificent, but the last few posts have been kinda boring… I miss your super writings. Past few posts are just a bit out of track! come on!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



Index