श्री राणी सती दादी जी की आरती का पाठ भक्तों के जीवन में आस्था, शक्ति, और समृद्धि का संचार करता है। राणी सती दादी जी, जो साहस और त्याग की प्रतीक मानी जाती हैं, अपने भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाने और उनके जीवन में शांति और सुख प्रदान करने के लिए पूजी जाती हैं। उनकी आरती करने से दादी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। यह आरती दादी जी के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है, जो जीवन के हर पहलू में शुभता और सकारात्मकता लाती है।
आइए, श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री राणी सती दादी जी की आरती का पाठ करें और उनके आशीर्वाद का अनुभव करें।
॥ आरती ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत,
मंडितचहुँक कुंभा ।
दुर्जन दलन खडग की,
विद्युतसम प्रतिभा ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल,
शोभा लखि न पडे ।
ललित ध्वजा चहुँ ओरे,
कंचन कलश धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
घंटा घनन घडावल बाजे,
शंख मृदुग घूरे ।
किन्नर गायन करते,
वेद ध्वनि उचरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
सप्त मात्रिका करे आरती,
सुरगण ध्यान धरे ।
विविध प्रकार के व्यजंन,
श्रीफल भेट धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
संकट विकट विदारनि,
नाशनि हो कुमति ।
सेवक जन ह्रदय पटले,
मृदूल करन सुमति ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अमल कमल दल लोचनी,
मोचनी त्रय तापा ।
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी,
शरण गहुँ माता ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
या मैया जी की आरती,
प्रतिदिन जो कोई गाता ।
सदन सिद्ध नव निध फल,
मनवांछित पावे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥