॥ आरती ॥
जय गोरख योगी (श्री गुरु जी) हर हर गोरख योगी ।
वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन योगी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्रीगुरुजी) योग युक्ति पूरे ।
सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में
जटा मुकुट सिर सोहत मन मोहत भस्मन्ती तन में ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
आदि पुरुष अविनाशी, निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी,
सुमिरण से अघ छूटे, सुमिरन से पाप छूटे, टूटे यम फाँसी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणी (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि,
सीता शोक निवारक, सीता मुक्त कराई, मार्यो लंक धनी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
नन्दनन्दन जगवन्दन, गिरधर वनमाली, (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली
निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणी बाली ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
धारा नगर मैनावती तुम्हरो ध्यानधरे (श्रीगुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे
अमर किये गोपीचन्द, अमर किये पूर्णमल, संकट दूर करे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
चन्द्रावल लखरावल निजकर घातमरी, (श्रीगुरुजी) निजकर घातमरी,
योग अमर फल देकर, 2 क्षण में अमर करी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी, (श्रीगुरुजी)जनकादिक ज्ञानी
मान दिलीप युधिष्ठिर 2 हरिश्चन्द्र से दानी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्रीगुरुजी) गणपति चँवर करे
जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
दया करी चौरंग पर कठिन विपतिटारी (श्रीगुरुजी) कठिन विपतिटारी
दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
इतनी श्री नाथ जी की मंगल आरती निशदिन जो गावे (श्रीगुरुजी)
प्रात समय गावे, भणत विचार पद (भर्तृहरि भूप अमर पद)सो निश्चय पावे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
Source: gorakhnathmandir.in