सनातन धर्म के अनुसार धर्मराज जी शनिदेव और देवी यमुना के भाई तथा सूर्यदेव के पुत्र है। धर्मराज (यमराज) जी लोगों को उनके पास और पुण्य के आधार पर न्याय प्रदान करते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति धर्मराज जी नित्य आरती सुनता या फिर पढ़ता है, तो उनसे धर्मराज जी उससे प्रसन्न होते है और उससे अनजानें में हुए पापों का नाश करते है। तो आइए आज पढ़ते है श्री मंदिर पर धर्मराज जी की आरती (Dharmraj Ji Ki Aarti In Hindi) हिंदी में।
॥ आरती ॥
धर्मराज कर सिद्ध काज,
प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।
पड़ी नाव मझदार भंवर में,
पार करो, न करो देरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी,
श्री यमराज कहलाते हो ।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं,
तुम सब लिखते जाते हो ॥
अंत समय में सब ही को,
तुम दूत भेज बुलाते हो ।
पाप पुण्य का सारा लेखा,
उनको बांच सुनते हो ॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम,
लख चौरासी की फेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे,
फुर्ती से लिखने वाले ।
अलग अगल से सब जीवों का,
लेखा जोखा लेने वाले ॥
पापी जन को पकड़ बुलाते,
नरको में ढाने वाले ।
बुरे काम करने वालो को,
खूब सजा देने वाले ॥
कोई नही बच पाता न,
याय निति ऐसी तेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी,
बड़े बड़े दर जाते हैं ।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही,
भय से थर्राते हैं ॥
बांध गले में रस्सी वे,
पापी जन को ले जाते हैं ।
चाबुक मार लाते,
जरा रहम नहीं मन में लाते हैं ॥
नरक कुंड भुगताते उनको,
नहीं मिलती जिसमें सेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज,
तुम खुद ही लेने आते हो ।
सादर ले जाकर उनको तुम,
स्वर्ग धाम पहुचाते हो ।
जों जन पाप कपट से डरकर,
तेरी भक्ति करते हैं ।
नर्क यातना कभी ना करते,
भवसागर तरते हैं ॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये,
जपता हूँ तेरी माला ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥





Fantastic web site. Lots of useful information here. I’m sending it to several friends ans also sharing in delicious. And certainly, thank you to your sweat!
Hmm is anyone else encountering problems with the pictures on this blog loading? I’m trying to figure out if its a problem on my end or if it’s the blog. Any responses would be greatly appreciated.
I truly enjoy looking at on this site, it has got fantastic content. “Beware lest in your anxiety to avoid war you obtain a master.” by Demosthenes.
There is noticeably a bundle to know about this. I assume you made certain nice points in features also.