ॐ जय सरस्वती माता जी की आरती – Om Jai Saraswati Mata Ji Ki Aarti

ॐ जय सरस्वती माता जी की आरती – Om Jai Saraswati Mata Ji Ki Aarti

सरस्वती माँ की आरती करने का महत्व बहुत विशेष है। माँ सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि, संगीत, और कला की देवी माना जाता है। उनकी आरती का उद्देश्य उनसे विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करना है। विद्यार्थियों, शिक्षकों, और कलाकारों द्वारा विशेष रूप से उनकी आरती की जाती है, ताकि वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकें।

आरती कब और कैसे की जाती है

माँ सरस्वती की आरती विशेष रूप से वसंत पंचमी के दिन की जाती है, जो माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, शिक्षा प्राप्ति के लिए अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर भी उनकी आरती की जा सकती है।

पूजा विधि:

  1. पूजा स्थान की सफाई: पूजा स्थान को साफ करें और माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  2. दीप प्रज्वलित करें: माँ के सामने दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
  3. पुष्प अर्पित करें: माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित करें।
  4. आरती का पाठ: “ॐ जय सरस्वती माता” जी की आरती का पाठ करें।
  5. प्रसाद अर्पण: आरती के बाद माँ को प्रसाद चढ़ाएं।
  6. मंत्र जाप: माँ सरस्वती के मंत्र “या कुन्देन्दु तुषार हार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता” का जाप करें या “ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः” का जाप करें। ये मंत्र विद्या और ज्ञान की देवी, माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए जपे जाते हैं।
  7. ध्यान और प्रार्थना: मंत्र जाप के बाद, कुछ समय के लिए माँ सरस्वती का ध्यान करें और उनसे ज्ञान, बुद्धि, संगीत, और कला में उत्कृष्टता की प्रार्थना करें।
  8. आरती समाप्ति: आरती के समापन पर, माँ सरस्वती को पुनः नमन करें और आरती की थाली को भक्तों के बीच घुमाएँ ताकि वे आरती के दिव्य प्रकाश को अपने ऊपर ले सकें।

॥ आरती ॥

जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥

माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥

माँ सरस्वती की आरती का महत्व

माँ सरस्वती की आरती ज्ञान, विद्या, और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति समर्पण और आदर को दर्शाती है। यह आरती भक्तों को न केवल आत्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है, बल्कि उन्हें जीवन में सफलता और प्रगति के लिए माँ सरस्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए, माँ सरस्वती की आरती उन्हें पढ़ाई और परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरणा और संबल प्रदान करती है।

इस प्रकार, माँ सरस्वती की आरती हमें यह सिखाती है कि ज्ञान और विद्या ही जीवन की सच्ची सम्पदा हैं, और इसके प्राप्ति के लिए माँ सरस्वती की भक्ति और आराधना महत्वपूर्ण है। वे हमें यह भी सिखाती हैं कि सच्ची शिक्षा और ज्ञान ही व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है और आत्मा को उच्चतम सत्य की अनुभूति कराती है। माँ सरस्वती की आराधना और उनकी आरती से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम अपने जीवन में ज्ञान की खोज में सदैव अग्रसर रहें, और अपने कार्यों और विचारों में नैतिकता और सच्चाई को अपनाएं।

माँ सरस्वती की पूजा और आरती हमें यह संदेश देती है कि विद्या, ज्ञान, और संगीत हमें एक सार्थक और संतुलित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। यह हमें अपने आस-पास की दुनिया और उससे परे की वास्तविकताओं को समझने में मदद करती है।

अंत में, माँ सरस्वती की आरती एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमें ज्ञान की देवी के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का अवसर देता है। यह हमें जीवन में आगे बढ़ने, नई चुनौतियों का सामना करने, और अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने की प्रेरणा देती है।



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