संगीत: आत्मा का आहार और मन की शांति
आज की इस भागमभाग भरी जिन्दगी में संगीत एक ऐसी सौगात है, जो हमें हर पल साथ देती है। कहीं ये हमारी खुशियों का साथी तो कहीं दुःख की घड़ी में सहारा होती है। सच पूछिए, तो संगीत आत्मा का आहार और मन की शांति का अद्वितीय स्रोत है।
संगीत शब्द का उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘संगणित’ से हुई है जिसका मतलब होता है ‘संगठित’. संगीत की धुन में रचनात्मकता, एकता और संगठन होता है। संगीत का असर हमारी आत्मा, मन और शारीर पर थोड़ी देर के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक रहता है। संगीत हमारी खुशी, दुःख, उत्साह, आशा, चिंता, हर जिंदगी की भावना को छूने की क्षमता रखता है।
जब हम दुखी होते हैं तब संगीत हमें अपनी बहाव को व्यक्त करने में सहायता करता है और जब हम खुश होते हैं, संगीत हमारी खुशी को बढ़ाता है। संगीत मन को शांत करने का एक प्राकृतिक और कारगर तरीका है। इसकी धुन और ताल हमें सहज और सुंदर ध्यान की ओर ले जाती हैं।
वैज्ञानिक अध्ययनों से भी यह साबित हो चुका है कि संगीत सुनने से हमारे मस्तिष्क में एंडोर्फिन हार्मोन उत्पन्न होता है जो हमें आनंदित और खुश महसूस कराता है। इसके अलावा संगीत सुनने से स्मृति शक्ति बढ़ती है, आत्मविश्वास बढ़ता है, तनाव और चिंता कम होती है।
लेकिन, सच्ची खुशी और शांति, संगीत का स्रष्टि होने में ही निहित है। संगीत बनाने की प्रक्रिया एक सरल और सहज अभिव्यक्ति हो सकती है, जिसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने वाले अनेक लाभ होते हैं।
तो अगर आप भी जिंदगी की उस रफ्तार से थक गए हैं तो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में संगीत को एक स्थान दें। इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और अपने दिनचर्या में इसे शामिल करें। आपको यकीन नहीं होता तो एक बार संगीत को अपना साथी बनाकर देखिए, वो निश्चित रूप से आपको खुशी और शांति देगा। संगीत हमें खुद को भूलने, अपने आत्म स्वरूप को जानने की कला सिखाता है।
हमें जीवन के हर पहलू को प्यार और सम्मान से ग्रहण करना सिखाता है। इसलिए, संगीत को केवल मनोरंजन का साधन मत मानिए, यह तो आत्मा का आहार और मन की शांति का सोत्र है।