ईमानदारी का फल

ईमानदारी का फल

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में राजू नाम का लड़का रहता था। वह बहुत होशियार और मेहनती था, लेकिन उसे झूठ बोलने की आदत थी। वह छोटी-छोटी बातों में झूठ बोल देता, जिससे लोग उस पर विश्वास नहीं करते थे।

राजू की नौकरी

एक दिन राजू को गाँव के साहूकार के बगीचे में काम करने का मौका मिला। साहूकार ने उसे कहा, “राजू, इस बगीचे की देखभाल करना। मैं हर महीने तुम्हें मेहनताना दूंगा। लेकिन याद रखना, मुझे ईमानदारी बहुत प्यारी है।”

राजू ने काम करना शुरू कर दिया। वह पूरे दिन मेहनत करता, पेड़ों को पानी देता और बगीचे को साफ रखता।

आम का पेड़ और राजू की परीक्षा

बगीचे में एक बड़ा और सुंदर आम का पेड़ था। एक दिन राजू ने देखा कि उस पेड़ पर एक बड़ा और पका हुआ आम लगा हुआ है। आम देखकर उसका मन ललचा गया। उसने सोचा, “अगर मैं यह आम खा लूं तो कोई नहीं देखेगा।”

लेकिन फिर उसे साहूकार की बात याद आई, “मुझे ईमानदारी बहुत प्यारी है।” उसने सोचा, “अगर मैंने यह आम बिना पूछे खा लिया, तो मैं ईमानदार नहीं रहूंगा।”

राजू ने आम को नहीं तोड़ा और साहूकार का इंतजार किया। जब साहूकार बगीचे में आया, तो राजू ने कहा, “मालिक, आम पूरी तरह पक चुका है। क्या मैं इसे खा सकता हूँ?”

साहूकार ने मुस्कुराते हुए कहा, “राजू, तुमने मेरी परीक्षा पास कर ली। तुमने आम चुराने के बजाय मुझसे पूछा, यही तुम्हारी ईमानदारी को दिखाता है। यह आम तुम्हारे लिए इनाम है।”

ईमानदारी का इनाम

साहूकार ने राजू को न केवल आम खाने दिया, बल्कि उसकी सैलरी भी बढ़ा दी। उसने कहा, “राजू, ईमानदार लोग ही सच्चे और भरोसेमंद होते हैं। तुम्हारी ईमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया है।”

शिक्षा:

ईमानदारी हमेशा फल देती है। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, हमें सच्चाई और ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

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