आरती श्री गोरख नाथ जी गोरखनाथ जी की महिमा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक विशेष साधन है। योगी गोरखनाथ, जिन्हें महान संत और योग परंपरा के प्रतिष्ठापक के रूप में जाना जाता है, अपने भक्तों को आंतरिक शांति, साधना, और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनकी आरती करने से मन की शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गोरखनाथ जी के प्रति समर्पण करने से व्यक्ति को उनकी कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सफलता और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।
आइए, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आरती श्री गोरख नाथ जी का पाठ करें और गोरखनाथ जी की कृपा और शक्ति का अनुभव करें।
॥ आरती ॥
जय गोरख देवा,
जय गोरख देवा ।
कर कृपा मम ऊपर,
नित्य करूँ सेवा ॥
शीश जटा अति सुंदर,
भाल चन्द्र सोहे ।
कानन कुंडल झलकत,
निरखत मन मोहे ॥
गल सेली विच नाग सुशोभित,
तन भस्मी धारी ।
आदि पुरुष योगीश्वर,
संतन हितकारी ॥
नाथ नरंजन आप ही,
घट घट के वासी ।
करत कृपा निज जन पर,
मेटत यम फांसी ॥
रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत,
माया है दासी ।
आप अलख अवधूता,
उतराखंड वासी ॥
अगम अगोचर अकथ,
अरुपी सबसे हो न्यारे ।
योगीजन के आप ही,
सदा हो रखवारे ॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा,
निशदिन गुण गावे ।
नारद शारद सुर मिल,
चरनन चित लावे ॥
चारो युग में आप विराजत,
योगी तन धारी ।
सतयुग द्वापर त्रेता,
कलयुग भय टारी ॥
गुरु गोरख नाथ की आरती,
निशदिन जो गावे ।
विनवित बाल त्रिलोकी,
मुक्ति फल पावे ॥