गौमाता को हिन्दू धर्म में एक पवित्र प्राणी माना जाता है, जिसकी आराधना देवी माँ के समान की जाती है। गाय को माँ का दर्जा दिया गया है क्योंकि यह अपने दूध से हमें पोषण प्रदान करती है, जिसे आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही रूपों में जीवन का अमृत माना जाता है। गौमाता की आरती और पूजा करने का महत्व इस बात में है कि यह हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना विकसित करने में मदद करता है। इससे हमारे अंदर दया, करुणा और अहिंसा के गुण विकसित होते हैं।
गौमाता की पूजा विधि
- तैयारी: सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें और गौमाता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
- धूप और दीप प्रज्वलित करें: गौमाता के सामने धूप और दीपक जलाएं।
- पुष्प अर्पित करें: गौमाता को पुष्प अर्पित करें और उनके चित्र या मूर्ति के सामने फूल चढ़ाएं।
- आरती का पाठ: गौमाता की आरती का पाठ करें। आरती के लिए विशेष गीत या मंत्र का उपयोग किया जा सकता है।
- प्रसाद अर्पण: आरती के बाद, गौमाता को प्रसाद के रूप में घास, हरा चारा या अन्य उपयुक्त भोजन अर्पित करें।
- मंत्र जाप और ध्यान: “ॐ गौमत्रे नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें और गौमाता के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करते हुए ध्यान करें। इस ध्यान के माध्यम से आप गौमाता के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को गहराई से महसूस कर सकते हैं।
- आशीर्वाद प्राप्त करें: पूजा के समापन पर, गौमाता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें। उनसे आपके परिवार के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि, और खुशहाली की कामना करें।
- परिक्रमा करें: यदि संभव हो तो, गौमाता की परिक्रमा करें। यह पूजा का एक भाग हो सकता है जिसे आप अपनी भक्ति और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में कर सकते हैं।
॥ आरती ॥
श्री गौमता जी की आरती
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनि,
अविचल अमल मुक्तिपददायिनि ।
सुर मानव सौभाग्य विधायिनि,
प्यारी पूज्य नंद छैय्या की ॥
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
अख़िल विश्व प्रतिपालिनी माता,
मधुर अमिय दुग्धान्न प्रदाता ।
रोग शोक संकट परित्राता,
भवसागर हित दृढ़ नैय्या की ॥
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
आयु ओज आरोग्य विकाशिनि,
दुख दैन्य दारिद्रय विनाशिनि ।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनि,
विमल विवेक बुद्धि दैय्या की ॥
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
सेवक जो चाहे दुखदाई,
सम पय सुधा पियावति माई ।
शत्रु मित्र सबको दुखदायी,
स्नेह स्वभाव विश्व जैय्या की ॥
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
आरती श्री गैय्या मैंय्या की,
आरती हरनि विश्व धैय्या की ॥
गौमाता की आरती का महत्व
गौमाता की आरती और पूजा हमें प्रकृति और जीवन के प्रति सम्मान और कृतज्ञता की भावना विकसित करने की प्रेरणा देती है। यह हमें सिखाती है कि हर जीव में दिव्यता होती है और हर प्राणी के प्रति करुणा, दया, और सम्मान का भाव रखना चाहिए। गौमाता की पूजा के माध्यम से हम धरती पर जीवन के संरक्षण और संतुलन की महत्वपूर्णता को भी समझते हैं।
इस प्रकार, गौमाता की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक जीवन शैली का प्रतीक है जो हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन में रहने की कला सिखाती है।