श्री भगवत भगवान की आरती – Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti

श्री भगवत भगवान की आरती – Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti

श्री भगवत भगवान हिन्दू धर्म में उच्चतम देवता हैं, जिन्हें सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, और अनंत के रूप में पूजा जाता है। “भगवान” शब्द का अर्थ है वह जो सभी भौतिक संपदाओं और आध्यात्मिक गुणों से युक्त है। हिन्दू धर्म में, भगवान विविध रूपों में पूजे जाते हैं और प्रत्येक रूप का अपना विशेष महत्व होता है।

श्रीमद् भगवद गीता:

श्री भगवत भगवान की शिक्षाओं का सबसे प्रमुख स्रोत “श्रीमद् भगवद गीता” है, जो महाभारत के भीष्म पर्व का एक हिस्सा है। इसमें भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद है, जिसमें कृष्ण ने धर्म, कर्म, भक्ति, योग, और मोक्ष की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दी हैं।

विभिन्न अवतार:

भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों (दशावतार) को भी भगवत भगवान के विभिन्न रूपों के रूप में पूजा जाता है। ये अवतार हैं: मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि अवतार। प्रत्येक अवतार ने धरती पर धर्म की स्थापना के लिए एक विशेष मिशन को पूरा किया।

भक्ति और उपासना:

भगवत भगवान की भक्ति और उपासना विभिन्न रूपों में की जाती है। यह जप, ध्यान, पूजा, यज्ञ, और कीर्तन के माध्यम से हो सकती है। भक्तों का मानना है कि भगवान की भक्ति और सच्चे मन से की गई उपासना उन्हें ईश्वर से सीधा संबंध स्थापित करने में मदद करती है। यह आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भक्तों का विश्वास है कि भगवान की कृपा से ही संसार के सभी दुखों और बाधाओं से मुक्ति संभव है।

॥ आरती ॥

श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥

ये शान्ति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥

ये मधुर बोल, जग फन्द खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती…॥

श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।

त्योहार और उत्सव:

भगवान के विभिन्न अवतारों और रूपों की पूजा के लिए भारतीय संस्कृति में अनेक त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। जैसे कि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, रामनवमी भगवान राम के जन्म का उत्सव है, और विजयादशमी या दशहरा भगवान राम द्वारा रावण पर विजय का उत्सव है। इन त्योहारों के माध्यम से भक्त अपनी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं।

शिक्षाएँ और महत्व:

भगवत भगवान की शिक्षाएँ हमें धर्म, कर्म, और भक्ति के महत्व को समझाती हैं। वे हमें यह सिखाते हैं कि कैसे जीवन में सही मार्ग पर चलकर और सत्य एवं धर्म का पालन करके हम ईश्वर की अनंत कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी शिक्षाएँ हमें आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की ओर ले जाने वाले पथ पर मार्गदर्शन करती हैं।

इस प्रकार, श्री भगवत भगवान की पूजा-अर्चना और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण हिन्दू धर्म के अनुयायियों के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी आराधना से न केवल व्यक्ति का मन शांत होता है, बल्कि आत्मा को भी सच्ची शांति और संतोष की अनुभूति होती है। भगवान के विभिन्न अवतारों के माध्यम से प्रकट हुई उनकी लीलाएँ और कथाएँ हमें जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देती हैं।

श्री भगवत भगवान की भक्ति में लीन होकर व्यक्ति अपने जीवन के कष्टों और चिंताओं से मुक्त हो सकता है। उनकी उपासना से व्यक्ति के अंदर नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक ज्ञान का विकास होता है, जो उसे अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में सहायक होता है।

इसी कारण, भगवान की पूजा-अर्चना में निष्ठा और समर्पण का भाव होना चाहिए। उनके प्रति सच्ची भक्ति और आस्था रखने वाले भक्त को जीवन में उच्चतम सुख और शांति की प्राप्ति होती है। श्री भगवत भगवान की शिक्षाएँ हमें दिखाती हैं कि कैसे हम अपने जीवन को धर्म, कर्म, और भक्ति के साथ संतुलित रख सकते हैं और साथ ही साथ आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।



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