श्री चित्रगुप्त जी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं, जिन्हें कर्मों का लेखक और यमराज के सचिव के रूप में जाना जाता है। वे धर्मराज यम के सहायक हैं और मृत्यु के बाद मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। उनका काम मनुष्यों द्वारा किए गए सभी अच्छे और बुरे कर्मों की गणना करना और उसके आधार पर उनके भविष्य का निर्णय करना होता है।
पौराणिक कथाएँ:
श्री चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति के विषय में कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, वे ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न हुए थे। ब्रह्मा जी के शरीर से निकले एक अंधेरे में चित्रगुप्त जी का जन्म हुआ था, इसलिए उनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।
महत्व:
चित्रगुप्त जी का महत्व यह है कि वे मनुष्यों के कर्मों का सटीक लेखा-जोखा रखते हैं। वे एक विशेष लेखनी और पुस्तक के साथ दर्शाए जाते हैं, जिसमें वे हर व्यक्ति के कर्मों का विवरण लिखते हैं। उनकी पूजा मुख्य रूप से दीपावली के दूसरे दिन को की जाती है, जिसे यम द्वितीया या भाई दूज के रूप में भी जाना जाता है।
॥ आरती ॥
श्री विरंचि कुलभूषण,
यमपुर के धामी ।
पुण्य पाप के लेखक,
चित्रगुप्त स्वामी ॥
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल,
अति सोहे ।
श्यामवर्ण शशि सा मुख,
सबके मन मोहे ॥
भाल तिलक से भूषित,
लोचन सुविशाला ।
शंख सरीखी गरदन,
गले में मणिमाला ॥
अर्ध शरीर जनेऊ,
लंबी भुजा छाजै ।
कमल दवात हाथ में,
पादुक परा भ्राजे ॥
नृप सौदास अनर्थी,
था अति बलवाला ।
आपकी कृपा द्वारा,
सुरपुर पग धारा ॥
भक्ति भाव से यह,
आरती जो कोई गावे ।
मनवांछित फल पाकर,
सद्गति पावे ॥
कायस्थ समाज में चित्रगुप्त जी:
कायस्थ समाज में चित्रगुप्त जी को अपना कुलदेवता माना जाता है। वे चित्रगुप्त जी की पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं । कायस्थ समुदाय के लोग चित्रगुप्त जी को शिक्षा, लेखन कला, और न्याय के देवता के रूप में आदर और सम्मान देते हैं। चित्रगुप्त जयंती इस समाज में विशेष उत्सव के रूप में मनाई जाती है, जिसमें वे चित्रगुप्त जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें अपने कर्मों का सही लेखा-जोखा रखने के लिए धन्यवाद देते हैं।
चित्रगुप्त पूजा:
चित्रगुप्त पूजा विशेष रूप से दीपावली के बाद कार्तिक मास में की जाती है। इस दिन, कायस्थ समुदाय के लोग नई पुस्तकें, कलम, और स्याही की पूजा करते हैं, जिसे उनके पेशेवर जीवन में सफलता और प्रगति के लिए शुभ माना जाता है। यह दिन उनके लिए नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
शिक्षा और साहित्य में उनका महत्व:
चित्रगुप्त जी की पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भी उन्हें बहुत आदर दिया जाता है। वे ज्ञान, बुद्धि, और लेखन कला के प्रतीक माने जाते हैं। शिक्षा और साहित्य के प्रति समर्पित व्यक्ति अक्सर चित्रगुप्त जी से प्रेरणा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
संदेश:
चित्रगुप्त जी की कथा और पूजा हमें यह सिखाती है कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन की दिशा और गति निर्धारित करते हैं। उनकी पूजा हमें अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देती है और यह भी याद दिलाती है कि हमारे हर कर्म का हिसाब रखा जाता है। चित्रगुप्त जी हमें न्याय, ईमानदारी, और सत्यता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
उनकी पूजा और कथाएं हमें सिखाती हैं कि जीवन में अच्छाई और सच्चाई का मार्ग ही सच्ची सफलता और संतोष की ओर ले जाता है। चित्रगुप्त जी का आशीर्वाद पाने के लिए हमें अपने कर्मों को शुद्ध और नेक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
इस प्रकार, श्री चित्रगुप्त जी का जीवन और उनकी शिक्षाएँ हमें आज भी प्रासंगिक लगती हैं और हमें अपने जीवन को एक बेहतर दिशा देने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी पूजा हमें यह याद दिलाती है कि हमारे हर कर्म का फल हमें मिलता है और इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए।