गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इसे दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जो कि प्रकृति और कृषि की समृद्धि का प्रतीक है। गोवर्धन जी की आरती इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्तों को भगवान गोवर्धन का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। इस पोस्ट में हम आपको गोवर्धन जी की आरती के पवित्र शब्द और इसका महत्व बताएंगे।
श्री गोवर्धन महाराज की आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।