विक्रम और बेताल की सीख

विक्रम और बेताल की सीख

बहुत समय पहले की बात है। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अपनी न्यायप्रियता और साहस के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध थे। एक दिन, एक तपस्वी ने राजा विक्रम को एक पेड़ पर लटके हुए एक बेताल (भूत) को पकड़कर लाने का कार्य सौंपा। राजा ने निडर होकर यह चुनौती स्वीकार कर ली।

राजा विक्रमादित्य ने रात के समय श्मशान में जाकर बेताल को पकड़ लिया और उसे अपने कंधे पर लादकर महल की ओर चलने लगे। लेकिन बेताल ने राजा को एक शर्त दी। उसने कहा, “हे राजा! मैं तुम्हें रास्ते में एक कहानी सुनाऊंगा। यदि तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया, तो मैं वापस पेड़ पर चला जाऊंगा। और यदि तुम चुप रहे, तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।”

राजा विक्रम ने यह शर्त मान ली, और बेताल ने अपनी पहली कहानी सुनानी शुरू की।


कहानी: तीन राजकुमारों की चुनौती

कई साल पहले, एक राजा के तीन पुत्र थे। तीनों बहुत बहादुर और बुद्धिमान थे। एक दिन, राजा ने अपने तीनों पुत्रों से पूछा, “तुममें से कौन सबसे योग्य है कि मेरे बाद इस राज्य का राजा बने?”

राजा ने एक चुनौती दी। उन्होंने कहा, “तुम तीनों जंगल जाओ और मुझे एक ऐसी वस्तु लाकर दो, जो इस राज्य के लिए सबसे अधिक लाभकारी हो। जो सबसे अनमोल वस्तु लाएगा, वही मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।”

पहले राजकुमार की वस्तु

पहला राजकुमार जंगल में गया और एक दुर्लभ औषधि लेकर आया। उसने कहा, “यह औषधि किसी भी बीमार व्यक्ति को तुरंत ठीक कर सकती है। इससे राज्य के लोग स्वस्थ रहेंगे।”

दूसरे राजकुमार की वस्तु

दूसरा राजकुमार एक जादुई दर्पण लाया। उसने कहा, “इस दर्पण में देखकर कोई भी व्यक्ति यह जान सकता है कि दूर-दराज़ में क्या हो रहा है। इससे राज्य को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।”

तीसरे राजकुमार की वस्तु

तीसरा राजकुमार एक पंख लेकर आया। उसने कहा, “यह पंख उस पक्षी का है जो हर जगह अमन और शांति फैलाता है। जहां भी इसे रखा जाएगा, वहां लोग लड़ाई-झगड़े भूलकर प्रेम से रहेंगे।”


बेताल का प्रश्न

बेताल ने राजा विक्रम से पूछा, “हे राजा, बताओ! इन तीनों वस्तुओं में से कौन-सी वस्तु सबसे अनमोल है, और किसे राजा बनना चाहिए?”


राजा विक्रम का उत्तर

राजा विक्रम ने तुरंत उत्तर दिया, “तीसरे राजकुमार की वस्तु सबसे अनमोल है। औषधि और दर्पण उपयोगी हैं, लेकिन शांति सबसे बड़ी संपत्ति है। यदि राज्य में शांति होगी, तो लोग स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे। इसलिए तीसरा राजकुमार राज्य का उत्तराधिकारी बनने के योग्य है।”


बेताल की सीख और वापसी

जैसे ही राजा विक्रम ने उत्तर दिया, बेताल ज़ोर से हंसा और बोला, “तुमने सही उत्तर दिया, राजा विक्रम! लेकिन मेरी शर्त के अनुसार, अब मैं वापस पेड़ पर जा रहा हूं।” यह कहकर बेताल उड़ गया।

राजा विक्रम ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा बेताल को पकड़ने के लिए श्मशान की ओर चल दिए।


शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि शांति और प्रेम किसी भी राज्य या समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। बिना शांति के कोई भी साधन या वस्तु उपयोगी नहीं होती। हमें हमेशा शांति और सौहार्द्र को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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