बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में रोहन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत चंचल था लेकिन गणित से बहुत डरता था। वह अक्सर अपने दोस्तों से कहता, “संख्या का क्या काम? मुझे तो इससे बस सिरदर्द होता है।”
जादुई पेड़ से मुलाकात
एक दिन, रोहन जंगल में खेलते-खेलते एक अजीब पेड़ के पास पहुंचा। पेड़ बहुत बड़ा था और उसकी टहनियों पर रंग-बिरंगे फल लगे थे। पेड़ ने रोहन को देखते ही कहा, “नमस्ते, रोहन! क्या तुम मेरी गिनती वाली पहेली हल कर सकते हो?”
रोहन हैरान होकर बोला, “तुम बोलते हो? और पहेली? मुझे तो गिनती बिल्कुल पसंद नहीं।”
पेड़ मुस्कुराया और कहा, “अगर तुमने मेरी पहेली हल की, तो मैं तुम्हें एक जादुई तोहफा दूंगा।”
पहली पहेली
पेड़ ने कहा, “मेरे पास 10 फल हैं। अगर तुम 4 फल तोड़ लो, तो मेरे पास कितने बचेंगे?”
रोहन ने सोचा और धीरे-धीरे जवाब दिया, “10 में से 4 कम कर दें, तो 6 बचेंगे।”
पेड़ खुश होकर बोला, “बिल्कुल सही! लेकिन अब अगली पहेली के लिए तैयार हो जाओ।”
दूसरी पहेली
पेड़ ने पूछा, “अगर हर टहनी पर 5-5 फल हैं और मेरी 3 टहनियाँ हैं, तो कुल फल कितने होंगे?”
रोहन ने उंगलियों पर गिनती की और बोला, “3 टहनियाँ और हर टहनी पर 5 फल। 5 तीन बार जोड़ें, तो 15 फल होते हैं।”
पेड़ हंसते हुए बोला, “तुम बहुत अच्छे हो रहे हो, रोहन। अब आखिरी पहेली।”
आखिरी पहेली
पेड़ ने कहा, “मेरे पास 20 फल थे। मैंने उनमें से आधे गाँव के बच्चों को दे दिए। अब मेरे पास कितने फल बचे?”
रोहन ने सोचा, “20 का आधा मतलब 10। तो तुम्हारे पास 10 फल बचे।”
पेड़ की सीख
पेड़ ने खुश होकर कहा, “सही उत्तर! देखो, गिनती कितनी मजेदार हो सकती है। यह सिर्फ फल गिनने के लिए नहीं है, बल्कि इससे तुम अपने जीवन में हर चीज़ को बेहतर समझ सकते हो।”
पेड़ ने रोहन को एक जादुई किताब दी, जो उसे गिनती और गणित सिखाती थी।
रोहन की बदलती सोच
उस दिन के बाद, रोहन को गणित और गिनती से डर नहीं लगा। उसने महसूस किया कि संख्याएँ उसके जीवन का एक जरूरी हिस्सा हैं।
शिक्षा:
संख्याएँ और गणित जीवन में हर जगह उपयोगी हैं। जब हम इसे खेल की तरह समझते हैं, तो यह आसान और मजेदार बन जाता है।