भैया दूज लोक कथा – Bhaiya Dooj Lauk Katha
व्रत कथा एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे [...]
व्रत कथाएँ हमारे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा हैं। इन कथाओं में न केवल धार्मिक महत्व को बताया गया है, बल्कि इनसे नैतिक शिक्षा और जीवन मूल्यों की भी सीख मिलती है। व्रत कथाएँ विभिन्न देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं, और मान्यताओं से जुड़ी होती हैं, जो विशेष व्रत या त्यौहारों के दौरान पढ़ी और सुनी जाती हैं। ये कथाएँ हमें सिखाती हैं कि किस प्रकार विश्वास, भक्ति, और समर्पण के बल पर जीवन के कठिनाइयों और संघर्षों का सामना किया जा सकता है।
हम आपके लिए लाए हैं विभिन्न व्रतों से जुड़ी अद्भुत कथाएँ, जो न सिर्फ आपके धार्मिक ज्ञान को बढ़ाएंगी, बल्कि आपके मन को भी शांति प्रदान करेंगी। हमारे संग्रह में शामिल हैं करवा चौथ, सावन के सोमवार, नवरात्रि, एकादशी, और अन्य कई व्रतों से जुड़ी कथाएँ। हम सरल और सहज भाषा में इन कथाओं को प्रस्तुत करते हैं, जिससे कि हर उम्र और वर्ग के लोग इन्हें आसानी से समझ सकें।
आइए, हमारे साथ इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलें और अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति को आमंत्रित करें।
व्रत कथा एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे [...]
व्रत कथा भैया दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भैया दूज की [...]
व्रत कथा श्री विष्णु मम् हृदय में, प्रेरणा करने वाले नाथ । लिखूँ माहात्म कार्तिक, राखो सिर पर हाथ ॥ राजा पृथु ने पूछा - हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान विष्णु ने वहाँ जाकर क्या किया [...]
व्रत कथा लिखने लगा हूँ श्रीहरि के, चरणों में शीश नवाय । कार्तिक माहात्म का बने, यह इक्कीसवाँ अध्याय ॥ अब ब्रह्मा आदि देवता नतमस्तक होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगे। वे बोले - हे देवाधिदेव! आप प्रकृति से [...]
व्रत कथा माँ शारदा की प्रेरणा, स्वयं सहाय । कार्तिक माहात्म का लिखूं, यह बीसवाँ अध्याय ॥ अब राजा पृथु ने पूछा - हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस प्रकार मारा गया, [...]
व्रत कथा बाईसवें अध्याय की, जब लिखने लगा हूँ बात । श्री प्रभु प्रेरणा प्राप्त कर, कलम आ गई हाथ ॥ राजा पृथु ने नारद जी से पूछा – हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे यह बताइए कि वृन्दा को [...]
व्रत कथा तेईसवाँ अध्याय वर्णन आँवला तुलसी जान । पढ़ने-सुनने से ‘कमल’ हो जाता कल्यान ॥ नारद जी बोले - हे राजन! यही कारण है कि कार्तिक मास के व्रत उद्यापन में तुलसी की जड़ में भगवान विष्णु की पूजा [...]
व्रत कथा लिखवाओ से निज दया से, सुन्दर भाव बताकर । कार्तिक मास चौबीसवाँ, अध्याय सुनो सुधाकर ॥ राजा पृथु बोले- हे मुनिश्रेष्ठ! आपने तुलसी के इतिहास, व्रत, माहात्म्य के विषय में कहा। अब आप कृपाकर मुझे यह बताइए कि [...]
व्रत कथा पार्वती जी कहती हैं कि हे भाग्यशाली ! लम्बोदर ! भाषणकर्ताओं में श्रेष्ठ ! कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को किस नाम वाले गणेश जी की पूजा, किस भांति करनी चाहिए। श्रीकृष्ण जी ने कहा कि अपनी माता की बात [...]
व्रत कथा पार्वती जी ने गणेश जी से पूछा कि अगहन कृष्ण चतुर्थी संकटा कहलाती है, उस दिन किस गणेश की पूजा किस रीति से करनी चाहिए? गणेश जी ने उत्तर दिया कि हे हिमालयनंदनी! अगहन में पूर्वोक्त रीति से गजानन [...]
व्रत कथा एक राजा था, उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। एकादशी को कोई भी अन्न नहीं बेचता था। सभी फलाहार करते थे। एक बार भगवान ने राजा की परीक्षा लेनी चाही। भगवान ने एक सुंदरी का रूप धारण किया [...]
व्रत कथा देवोत्थान एकादशी का महत्त्व: धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! मैंने कार्तिक कृष्ण एकादशी अर्थात रमा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप कृपा करके मुझे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में भी बतलाइये। इस एकादशी [...]
व्रत कथा सुना प्रश्न ऋषियों का, और बोले सूतजी ज्ञानी । पच्चीसवें अध्याय में सुनो, श्री हरि की वाणी ॥ (धर्मदत्त जी का कथन, चौबीसवीं कथा का आगे वर्णन सुनिए).. तीर्थ में दान और व्रत आदि सत्कर्म करने से मनुष्य [...]
व्रत कथा कार्तिक मास माहात्म्य, का छब्बीसवाँ अध्याय । श्री विष्णु की कृपा से, आज तुमको रहा बताय ॥ नारद जी बोले- इस प्रकार विष्णु पार्षदों के वचन सुनकर धर्मदत्त ने कहा- प्राय: सभी मनुष्य भक्तों का कष्ट दूर करने [...]
व्रत कथा पढ़े सुने जो प्रेम से, वह हो जाये शुद्ध स्वरुप । यह अठ्ठाईसवाँ अध्याय, कार्तिक कथा अनूप ॥ धर्मदत्त ने पूछा- मैंने सुना है कि जय और विजय भी भगवान विष्णु के द्वारपाल हैं। उन्होंने पूर्वजन्म में ऐसा कौन सा [...]
व्रत कथा कृष्ण नाम का आसरा, कृष्ण नाम का ध्यान । सत्ताईसवाँ अध्याय अब, लिखने लगा महान ॥ पार्षदों ने कहा- एक दिन की बात है, विष्णुदास ने नित्यकर्म करने के पश्चात भोजन तैयार किया किन्तु कोई छिपकर उसे चुरा ले [...]