अकेलापन पर शायरी: दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ

अकेलापन पर शायरी: दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ

अकेलापन एक ऐसा अनुभव है जिसे हम सभी ने कभी न कभी महसूस किया है। यह एक ऐसी भावना है जो दिल को गहराई से छूती है और हमें सोचने पर मजबूर करती है। अकेलापन हमें खुद के साथ समय बिताने, अपने अंदर झांकने और जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने का मौका देता है। इस लेख में, हम अकेलापन पर कुछ खूबसूरत शायरियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं, जो इस भावना की गहराई को बयां करती हैं।

अकेलापन पर शायरी

तन्हाई का आलम जब दिल को सताता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो अपने थे वो साथ छोड़ गए,
अकेलापन का साया हर तरफ़ छा जाता है।

दिल की तन्हाई का कोई इलाज नहीं होता,
जब दर्द बढ़ता है तो कोई पास नहीं होता।
अकेलापन की राहों में हम खो जाते हैं,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।

अकेलापन का दर्द जब दिल में बसता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो साथ थे वो दूर चले गए,
अकेलापन का एहसास हर पल सताता है।

तन्हाई की रातें बहुत सताती हैं,
हर पल उनकी यादें दिल में आती हैं।
जो अपने थे वो दूर हो गए,
अकेलापन की राहों में हम खो गए।

दिल का अकेलापन जब बढ़ता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो अपने थे वो दूर चले गए,
अकेलापन का साया हर तरफ़ छा जाता है।

तन्हा दिल की आवाज़ कोई सुनता नहीं,
हर ग़म को कोई समझता नहीं।
अकेलेपन की राहों में हम चलते जाते हैं,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।

अकेलापन और यादें दिल को सताती हैं,
हर पल उनकी तस्वीरें आँखों में आती हैं।
जो साथ थे वो दूर हो गए,
अकेलापन की राहों में हम खो गए।

तन्हाई का सफर जब शुरू होता है,
हर मोड़ पर एक नया ग़म होता है।
अकेलेपन की राहों में हम चलते जाते हैं,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।

दिल का सूनापन जब बढ़ता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो अपने थे वो दूर चले गए,
अकेलापन का साया हर तरफ़ छा जाता है।

तन्हाई का एहसास जब दिल में बसता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो साथ थे वो दूर हो गए,
अकेलापन का दर्द हर पल सताता है।

तनहाई का आलम यूँही दिल को सताता है,
हर खुशी का लम्हा ग़म में बदल जाता है।
जो अपने थे वो कब के बिछड़ गए,
अकेलापन का साया हर जगह छा जाता है।

दिल की वीरानी में कोई साया नहीं होता,
जब दर्द बढ़ता है तो कोई हमराही नहीं होता।
अकेलापन की राहों में खो जाते हैं हम,
हर हंसी का पल भी आँसू में ढल जाता है।

तन्हाई का सफर जब आरंभ होता है,
हर मोड़ पर ग़म का समंदर होता है।
जो कभी अपने थे अब वो दूर हो गए,
अकेलापन की रातें और भी लंबी हो जाती हैं।

यादों का साया जब दिल पर छा जाता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो साथ थे वो अब ख्वाब हो गए,
अकेलापन की राहें और भी वीरान हो जाती हैं।

ख़ाली दिल की आहें कोई सुन नहीं पाता,
जब दर्द बढ़ता है तो कोई पास नहीं आता।
अकेलेपन की राहों में भटक जाते हैं हम,
हर खुशी का पल भी अश्कों में ढल जाता है।

तन्हा दिल का दर्द जब उभरता है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो कभी अपने थे अब पराए हो गए,
अकेलापन का एहसास और भी गहरा हो जाता है।

वीरान राहें और तन्हा दिल का सफर,
हर मोड़ पर बस ग़म का मंज़र।
जो अपने थे अब यादें बन गए,
अकेलेपन की राहें और भी कठिन हो जाती हैं।

तन्हाई का असर दिल पर गहरा होता है,
हर खुशी का पल भी दर्द में बदल जाता है।
जो अपने थे अब दूर हो गए,
अकेलापन का साया हर जगह छा जाता है।

यादों की चुभन दिल को सताती है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाती है।
जो अपने थे अब दूर चले गए,
अकेलापन का दर्द हर पल महसूस होता है।

दिल की तन्हाई जब बढ़ जाती है,
हर खुशी का पल भी ग़म में बदल जाता है।
जो अपने थे अब पास नहीं हैं,
अकेलापन का एहसास हर पल सताता है।



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