क्या देश में फिर से लग सकता है लॉकडाउन? जानिए मंकीपॉक्स/एमपॉक्स के बारे में

क्या देश में फिर से लग सकता है लॉकडाउन? जानिए मंकीपॉक्स/एमपॉक्स के बारे में

हाल ही में एक नई बीमारी, जिसे ‘मंकीपॉक्स’ या ‘एमपॉक्स’ कहा जा रहा है, ने दुनिया भर में चिंता का माहौल बना दिया है। जहां COVID-19 महामारी से दुनिया अभी तक उबर ही रही है, वहीं इस नई बीमारी ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह अगली महामारी बन सकती है। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें।

मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) क्या है?

मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलती है, इसे ज़ूनोटिक बीमारी भी कहा जाता है। इस वायरस का नाम ‘मंकीपॉक्स’ इसलिए रखा गया क्योंकि इसका पहला पता 1958 में लैब में रखे गए बंदरों में चला था। हालांकि, मंकीपॉक्स का प्रमुख स्रोत बंदर नहीं, बल्कि चूहे, गिलहरी, और अन्य छोटे स्तनधारी हैं।

मंकीपॉक्स वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है, जो चेचक (स्मॉलपॉक्स) के वायरस के समान है, हालांकि मंकीपॉक्स की गंभीरता चेचक से कम होती है। इस बीमारी के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और शरीर पर दाने या फफोले।

इस बीमारी का संक्रमण व्यक्ति से व्यक्ति में भी हो सकता है, खासकर जब संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ या दाने के संपर्क में आया जाए।

मंकीपॉक्स का इतिहास और पहला मामला

मंकीपॉक्स का इतिहास 1958 से शुरू होता है जब इसका पहली बार पता चला। उस समय, डेनमार्क में दो अलग-अलग प्रकोपों में प्रयोगशाला में रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी देखी गई थी। इसी घटना के कारण इसे ‘मंकीपॉक्स’ नाम दिया गया। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि मंकीपॉक्स का प्रमुख स्रोत बंदर नहीं, बल्कि चूहे और गिलहरी जैसे छोटे स्तनधारी हैं।

मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में दर्ज किया गया था। यह मामला एक छोटे बच्चे में सामने आया था, जो चेचक के उन्मूलन के बाद मंकीपॉक्स से संक्रमित होने वाला पहला ज्ञात मानव था।

उस समय से लेकर अब तक, मंकीपॉक्स के मामले मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के ग्रामीण इलाकों में पाए जाते रहे हैं, जहां जंगलों के नजदीक रहने वाले लोग संक्रमित जानवरों के संपर्क में आ सकते हैं। हालांकि, 2022 में, अफ्रीका के बाहर भी इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़े, जिससे यह बीमारी वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गई।

मंकीपॉक्स का इलाज और सावधानियां

मंकीपॉक्स का इलाज

मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए उपचार किए जा सकते हैं। मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले उपचार मुख्य रूप से चेचक (स्मॉलपॉक्स) के लिए विकसित वैक्सीन और एंटीवायरल दवाओं पर आधारित होते हैं। चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण के खिलाफ लगभग 85% प्रभावी मानी जाती है। इसके अलावा, कुछ एंटीवायरल दवाएं, जैसे कि टेकोवीरिमेट (Tecovirimat), मंकीपॉक्स के इलाज में सहायक हो सकती हैं।

सावधानियां

मंकीपॉक्स से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  1. संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं: मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है। इसलिए, अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, तो उससे शारीरिक दूरी बनाए रखें।
  2. व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें: हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं या अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले कपड़े, बिस्तर, या अन्य वस्तुओं को छूने से बचें।
  3. सुरक्षित भोजन और पानी का सेवन करें: मंकीपॉक्स का संक्रमण जानवरों से भी हो सकता है, इसलिए जंगल के जानवरों का मांस खाने से बचें और हमेशा सुरक्षित और स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करें।
  4. वैक्सीन का उपयोग: अगर आप उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में रहते हैं या यात्रा कर रहे हैं, तो चेचक की वैक्सीन लगवाने पर विचार कर सकते हैं, जो मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
  5. बचाव के उपाय अपनाएं: संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क से बचें और अगर आपको संक्रमण का शक है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और आइसोलेशन में रहें।

मंकीपॉक्स के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इन सावधानियों का पालन करना बहुत जरूरी है। इससे न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि बड़े पैमाने पर संक्रमण के प्रसार को भी रोका जा सकता है।

ताजा खबरें और क्या यह खतरनाक है?

हाल ही में मंकीपॉक्स के नए मामलों की पुष्टि ने एक बार फिर से लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी है। ताजा खबरों के अनुसार, स्वीडन के बाद पाकिस्तान में इस साल का पहला मंकीपॉक्स का मामला सामने आया है। ARY News की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि सऊदी अरब से लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स का संक्रमण पाया गया है।

यह 34 वर्षीय व्यक्ति 3 अगस्त को पाकिस्तान के पेशावर पहुंचा था और कुछ समय बाद उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई देने लगे। बाद में, वह जांच के लिए ख़ैबर मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुंचा, जहां 13 अगस्त को मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई। इस खबर के बाद पाकिस्तान में सतर्कता बढ़ा दी गई है और आसपास के देशों में भी इसके प्रति सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

क्या यह खतरनाक है?

मंकीपॉक्स की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब पड़ोसी देशों में इसके मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, मंकीपॉक्स का संक्रमण दर COVID-19 जितना तेज नहीं है, लेकिन यह एक खतरनाक बीमारी है, जो अगर नियंत्रित नहीं की गई तो बड़ी समस्या बन सकती है।

मंकीपॉक्स के संक्रमण के बाद लक्षणों की पहचान और समय पर इलाज बेहद जरूरी है, ताकि इसके फैलाव को रोका जा सके। पड़ोसी देश में मामलों के सामने आने से भारत में भी सतर्कता बरतने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभागों को इस बारे में तैयार रहना चाहिए और लोगों को सावधानियों के प्रति जागरूक करना चाहिए, ताकि इस बीमारी का फैलाव रोका जा सके।

इस प्रकार, मंकीपॉक्स के मामलों पर नजर रखना और आवश्यक सावधानियां बरतना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि यह बीमारी हमारे देश में भी गंभीर रूप न ले सके।

मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) वैक्सीन

मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन एक प्रभावी उपाय है। मंकीपॉक्स के लिए विशेष रूप से कोई नई वैक्सीन नहीं बनाई गई है, लेकिन चेचक (स्मॉलपॉक्स) की वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी काफी हद तक सुरक्षा प्रदान करती है। चेचक की वैक्सीन को मंकीपॉक्स के लिए लगभग 85% प्रभावी माना जाता है।

कौन लोग वैक्सीन प्राप्त कर सकते हैं?

वैक्सीन मुख्य रूप से उन लोगों को दी जाती है जो मंकीपॉक्स के संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं, जैसे कि स्वास्थ्यकर्मी, प्रयोगशाला के कर्मचारी, और उन क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहां मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को भी वैक्सीन दी जा सकती है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

वैक्सीन की उपलब्धता

कई देशों ने मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए चेचक की वैक्सीन का स्टॉक बढ़ा दिया है। हालांकि, वैक्सीन की उपलब्धता देश और क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकती है। सरकारें और स्वास्थ्य संगठनों के माध्यम से वैक्सीन के वितरण और इसके इस्तेमाल की योजनाएं बनाई जा रही हैं।

वैक्सीन का महत्व

वैक्सीन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। वैक्सीन न केवल संक्रमण को रोकने में मदद करती है, बल्कि अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही संक्रमण हो गया है, तो भी वैक्सीन से संक्रमण की गंभीरता कम हो सकती है।

इसलिए, मंकीपॉक्स के प्रकोप के दौरान वैक्सीन लगवाना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है। वैक्सीन के साथ-साथ अन्य सावधानियों का पालन भी जरूरी है, ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके।

भारत में वैक्सीन की स्थिति

भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या बहुत कम है, इसलिए व्यापक स्तर पर वैक्सीन का उपयोग नहीं किया जा रहा है। हालांकि, यदि किसी क्षेत्र में मंकीपॉक्स का प्रकोप होता है, तो उच्च जोखिम वाले समूहों को चेचक की वैक्सीन दी जा सकती है। इसके लिए भारत सरकार और स्वास्थ्य संगठनों ने योजनाएं तैयार की हैं और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

स्मॉलपॉक्स और मंकीपॉक्स में समानताएं और अंतर

स्मॉलपॉक्स (चेचक) और मंकीपॉक्स दोनों ही वायरस जनित बीमारियां हैं, और इन दोनों में कई समानताएं और अंतर हैं। आइए, इन दोनों बीमारियों की तुलना करते हैं:

समानताएं (Similarities)

  1. वायरस का परिवार:
    • स्मॉलपॉक्स और मंकीपॉक्स दोनों ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) परिवार से संबंधित हैं। ये वायरस इंसानों में त्वचा पर फफोले और दाने उत्पन्न करते हैं।
  2. लक्षण:
    • दोनों बीमारियों के लक्षण समान होते हैं, जैसे कि बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और त्वचा पर दाने या फफोले।
    • दोनों में ही रोगी के शरीर पर फफोले, खासकर चेहरे, हाथ-पैर और शरीर के अन्य हिस्सों पर, विकसित होते हैं।
  3. वैक्सीन:
    • स्मॉलपॉक्स के लिए विकसित की गई वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी प्रभावी होती है। चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स के संक्रमण से बचाव में करीब 85% तक प्रभावी मानी जाती है।
  4. रोकथाम:
    • दोनों बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए आइसोलेशन, स्वच्छता और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचाव के उपाय प्रभावी होते हैं।

अंतर (Differences)

  1. वायरस की उत्पत्ति:
    • स्मॉलपॉक्स का वायरस, जिसे वेरियोला वायरस (Variola virus) कहा जाता है, केवल इंसानों को संक्रमित करता है।
    • मंकीपॉक्स का वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है, और इसका प्रमुख स्रोत चूहे और गिलहरी जैसे छोटे स्तनधारी होते हैं।
  2. प्रसार का तरीका:
    • स्मॉलपॉक्स व्यक्ति से व्यक्ति में अधिक आसानी से फैलता है, मुख्यतः हवा के माध्यम से या संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से।
    • मंकीपॉक्स मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या संक्रमित व्यक्ति के त्वचा के घावों, शरीर के तरल पदार्थ, या वस्तुओं के माध्यम से फैलता है। इसका प्रसार हवा के माध्यम से कम होता है।
  3. गंभीरता:
    • स्मॉलपॉक्स एक अत्यंत घातक बीमारी थी, जिसकी मृत्यु दर 30% तक होती थी।
    • मंकीपॉक्स की मृत्यु दर कम होती है, और यह आमतौर पर खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, हालांकि कुछ मामलों में यह गंभीर भी हो सकती है।
  4. वैश्विक स्थिति:
    • स्मॉलपॉक्स को 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वैश्विक स्तर पर उन्मूलित घोषित कर दिया गया था।
    • मंकीपॉक्स अभी भी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सक्रिय है और हाल के वर्षों में अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आए हैं।
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चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स में तुलना

चिकनपॉक्स (जलौक) और मंकीपॉक्स दोनों ही वायरल बीमारियां हैं, लेकिन ये अलग-अलग वायरस के कारण होती हैं और इनके लक्षण, प्रसार, और प्रभाव में भी अंतर होता है। आइए, इन दोनों बीमारियों की तुलना करते हैं:

समानताएं (Similarities)

  1. त्वचा पर प्रभाव:
    • दोनों बीमारियों में त्वचा पर दाने या फफोले होते हैं।
    • मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स दोनों ही त्वचा पर छोटे-छोटे फफोले और घाव उत्पन्न करते हैं, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकते हैं।
  2. लक्षण:
    • दोनों बीमारियों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और थकान जैसे लक्षण सामान्य रूप से देखे जाते हैं।
    • संक्रमण के बाद, दोनों में ही रोगी को कमजोरी और अस्वस्थता महसूस हो सकती है।
  3. स्व-सुधार:
    • चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स, दोनों ही बीमारियां आमतौर पर खुद-ब-खुद ठीक हो जाती हैं, हालांकि कुछ मामलों में चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।

अंतर (Differences)

  1. वायरस की उत्पत्ति:
    • चिकनपॉक्स का कारण वैरिसेला ज़ोस्टर वायरस (Varicella Zoster Virus) होता है, जो हर्पीज़वायरस परिवार का हिस्सा है।
    • मंकीपॉक्स ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) परिवार का हिस्सा है, जो स्मॉलपॉक्स (चेचक) के वायरस से संबंधित है।
  2. संक्रमण का तरीका:
    • चिकनपॉक्स बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी है, और यह मुख्य रूप से हवा के माध्यम से फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, या उसके तरल पदार्थ के संपर्क में आने से चिकनपॉक्स फैल सकता है।
    • मंकीपॉक्स का प्रसार संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से या संक्रमित व्यक्ति के त्वचा के घावों, शरीर के तरल पदार्थ, या उपयोग की गई वस्तुओं के माध्यम से होता है। यह हवा के माध्यम से कम फैलता है।
  3. गंभीरता:
    • चिकनपॉक्स आमतौर पर बच्चों में होता है और हल्की से मध्यम गंभीरता वाली बीमारी होती है। इसमें मृत्यु दर बहुत कम होती है, और ज्यादातर लोग इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
    • मंकीपॉक्स की गंभीरता ज्यादा हो सकती है, खासकर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में। मंकीपॉक्स की मृत्यु दर चिकनपॉक्स से अधिक होती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं।
  4. वैक्सीन:
    • चिकनपॉक्स के लिए एक विशेष वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे वैरिसेला वैक्सीन कहा जाता है। यह वैक्सीन चिकनपॉक्स के खिलाफ प्रभावी है और इसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
    • मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष वैक्सीन नहीं है, लेकिन स्मॉलपॉक्स (चेचक) की वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी पाई गई है।
  5. बिमारी की अवधि:
    • चिकनपॉक्स आमतौर पर 1-2 सप्ताह में ठीक हो जाता है, जबकि मंकीपॉक्स के लक्षण 2-4 सप्ताह तक बने रह सकते हैं।
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