गजमुख धारी जिसने तेरा, सच्चे मन से: भजन – Gajmukhdhari Jisne Tera Sachche Man Se

गजमुख धारी जिसने तेरा, सच्चे मन से: भजन – Gajmukhdhari Jisne Tera Sachche Man Se

भजन

गजमुख धारी जिसने तेरा,
सच्चे मन से जाप किया,
ऐसे पुजारी का स्वयं तुमने,
ऐसे पुजारी का स्वयं तुमने,
सिध्द मनोरथ आप किया,
गजमुख धारी जिसनें तेरा,
सच्चे मन से जाप किया ॥

तुझ चरणों की ओर लगन से,
जो साधक बढ़ जाता है,
सौ क़दम तु चलके दाता,
उसको गले लगाता है,
अंतरमन के भाव समझ के, २
काज सदा चुपचाप किया,
गजमुख धारी जिसनें तेरा,
सच्चे मन से जाप किया ॥

द्वार तुम्हारे द्रढ़ विश्वासी,
जब भी झुक कर रोता है,
उसके घर मे मंगल महके,
कभी अनिष्ट ना होता है,
उसके जीवन से प्रभु तुमने, २
दुर है दुख संताप किया,
गजमुख धारी जिसनें तेरा,
सच्चे मन से जाप किया ॥

आदि अनादि जड़ चेतन ये,
सब तेरे अधिकार मे है,
तुने बनाया तुने रचाया,
जो कुछ भी संसार मे है,
तेरी इच्छा से ही हमने, २
पुण्य किया या पाप किया,
गजमुख धारी जिसनें तेरा,
सच्चे मन से जाप किया ॥

गजमुख धारी जिसने तेरा,
सच्चे मन से जाप किया,
ऐसे पुजारी का स्वयं तुमने,
ऐसे पुजारी का स्वयं तुमने,
सिध्द मनोरथ आप किया,
गजमुख धारी जिसनें तेरा,
सच्चे मन से जाप किया ॥