श्री बाबा बालकनाथ जी की आरती का पाठ भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि लाता है। बाबा बालकनाथ जी, जो सिद्ध पुरुष और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं, अपनी कृपा से सभी भक्तों के दुखों को दूर करते हैं। उनकी आरती करने से मानसिक शांति, कष्टों से मुक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। बाबा बालकनाथ जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
आइए, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री बाबा बालकनाथ जी की आरती का पाठ करें और बाबा बालकनाथ जी की कृपा और शक्ति का अनुभव करें।
॥ आरती ॥
ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
दस जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
बालक उमर सुहानी,
नाम बालक नाथा,
अमर हुए शंकर से,
सुन के अमर गाथा ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
शीश पे बाल सुनैहरी,
गले रुद्राक्षी माला,
हाथ में झोली चिमटा,
आसन मृगशाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
सुंदर सेली सिंगी,
वैरागन सोहे,
गऊ पालक रखवालक,
भगतन मन मोहे ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
अंग भभूत रमाई,
मूर्ति प्रभु रंगी,
भय भज्जन दुःख नाशक,
भरथरी के संगी ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
रोट चढ़त रविवार को,
फल, फूल मिश्री मेवा,
धुप दीप कुदनुं से,
आनंद सिद्ध देवा ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
भक्तन हित अवतार लियो,
प्रभु देख के कल्लू काला,
दुष्ट दमन शत्रुहन,
सबके प्रतिपाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
श्री बालक नाथ जी की आरती,
जो कोई नित गावे,
कहते है सेवक तेरे,
मन वाच्छित फल पावे ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे ॥